कम हो रहा पानी, बढ़ रही कटान की विनाशलीला
खादर क्षेत्र में गंगा का जलस्तर घटने लगा है वहीं कटान की विनाशलीला शुरू हो गई है। खेत गंगा में समा रहे हैं। गांव गौसपुर की कृषि भूमि लगातार गंगा की भेट चढ़ रही है। इसे लेकर किसान चितित हैं और दहशत में भी। वहीं गंगा कटान करती हुई आबादी की ओर बढ़ रही है।
जेएनएन, बिजनौर। खादर क्षेत्र में गंगा का जलस्तर घटने लगा है, वहीं कटान की विनाशलीला शुरू हो गई है। खेत गंगा में समा रहे हैं। गांव गौसपुर की कृषि भूमि लगातार गंगा की भेट चढ़ रही है। इसे लेकर किसान चितित हैं और दहशत में भी। वहीं गंगा कटान करती हुई आबादी की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2013 से गंगा कटान करती हुई गौसपुर के नजदीक आ गई है। गंगा का कटान इसी गति से चलता रहा तो गौसपुर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
गांव गौसपुर में ग्रामीण पूरी तरह दहशत में हैं। गंगा के रौद्र रूप से मची तबाही को लेकर किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। किसानों के खेतों में गंगा तेजी से कटान करती हुई आबादी की ओर बढ़ रही है। कटान के साथ गन्ना, चारा आदि की फसलें गंगा में समा रही हैं।
ग्रामीणों को कहना है कि 2013 से गांव में कटान का सिलसिला जारी है, लेकिन शासन-प्रशासन व सरकार से शिकायत के बावजूद आज तक गंगा किनारे पक्का तटबंध नहीं बन सका है। ग्रामीण अरविद कुमार, अवनीश कुमार, भूपेंद्र, राजेंद्र सिंह आदि का कहना है कि इस बार गंगा खादर में जल्दी कटान शुरू हो गया है। बांध से पानी छोड़े जाने के साथ लगातार पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्र में हुई मूसलधार बारिश होने से गंगा नदी का जलस्तर बढ़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि जितनी तेज धूप होगी उतने ही खेत तेजी से गंगा में नष्ट आएंगे। दूसरी ओर भी बह रहा पानी
नांगलसोती: किसानों की गंगा की दूसरी और कृषि भूमि है, जिसमें किसानों ने गन्ने आदि की फसल उगा रखी है। भीमगोडा बांध से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण यह फसल जलमग्न हैं। लगातार फसलों में पानी बहने से फसलें नष्ट हो गई हैं। ग्रामीणों ने गांव में स्थाई तटबंध बनाए जाने की मांग की है।