पुराली जलाने से पर्यावरण पर पड़ता है दुष्प्रभाव

बिजनौर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश भारत स्काउट गाइड संस्था के जिला मुख्य आयुक्त एवं जिला विद्यालय निरीक्ष

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 06:33 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 06:33 PM (IST)
पुराली जलाने से पर्यावरण पर पड़ता है दुष्प्रभाव
पुराली जलाने से पर्यावरण पर पड़ता है दुष्प्रभाव

बिजनौर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश भारत स्काउट गाइड संस्था के जिला मुख्य आयुक्त एवं जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार ने फसलों के अवशेष, पराली आदि के जलाने से पर्यावरण पर पड़ने वाले दूषित प्रभाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पराली आदि के जलाने से भूमि की उर्वरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, मित्र कीट जमीन की ऊपरी सतह पर केचुआ आदि नष्ट हो जाते हैं। इससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचता है और स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने बताया कि इसके बचाव के लिए उत्तर प्रदेश भारत स्काउट गाइड द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिला सचिव सत्यपाल सिंह मलिक ने बताया कि पुराली आदि फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, इसके बचाव के लिए जागरूकता का लाना आवश्यक है। पुराली आदि को आधुनिक यंत्रों की सहायता से भूसे के रूप में मिट्टी में मिलाया जाए तो मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी और प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पर्यावरण को बचाया जा सकता है। डीओसी स्काउट चंद्रहास सिंह ने बताया कि विद्यालयों की स्काउट गाइड यूनिटों द्वारा प्रत्येक दल की टोली बनाकर जन-जागरण किया जाएगा।

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