स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए ईश्वर का वरदान
स्तनपान जन्म से छह माह तक शिशु के लिए संपूर्ण आहार है। स्तनपान से न सिर्फ शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास होता है वरन शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इतना ही नहीं मां और शिशु के बीच भावनात्मक लगाव भी अधिक होता है।
जेएनएन, बिजनौर। स्तनपान जन्म से छह माह तक शिशु के लिए संपूर्ण आहार है। स्तनपान से न सिर्फ शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास होता है, वरन शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इतना ही नहीं मां और शिशु के बीच भावनात्मक लगाव भी अधिक होता है।
स्तनपान दिवस की शुरुआत डब्लूएचओ और यूनिसेफ ने एक अगस्त 1992 से की। महिलाओं को स्तनपान की विशेषता समझाने के लिए यह सप्ताह भर एक से सात सितंबर तक मनाया जाता है। स्तनपान केवल शिशु के लिए ही नहीं बल्कि मांओं के लिए भी लाभदायक होता है। जिला अस्पताल में कार्यरत बाल रोग विशेषज्ञ डा. केके सिंह बताते हैं कि स्तनपान कराने वाली मांओं को जहां चेस्ट और गर्भाश्य के कैंसर का खतरा कम होता है, वहीं स्तनपान गर्भनिरोधक का भी काम करता है। बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जो जीवन भर के लिए लाभदायक होती है। उन्होंने बताया कि स्तनपान करने से शिशु को मां के शरीर की गर्माहट मिलती है। मां का दूध सर्वोत्तम आहार होने के कारण शिशु की ग्रोथ अच्छी होती है और वह हेल्दी रहता है। प्रसव के बाद पहला पीला गाढ़ा दूध शिशु के लिए सबसे ज्यादा मुफीद होता है। अज्ञानतावश कई महिलाएं ऐसा नहीं करती तो गलत है। शिशु के जन्म के बाद छह माह तक मां का दूध ही संपूर्ण
आहार है। इसमें सभी पौष्टिक पदार्थ होते हैं। इस अवधि में शिशु को शहद अथवा पानी भी नहीं देना चाहिए।
मां के लिए भी लाभदायक
प्रसुति एवं महिला रोग विशेषज्ञ डा. निरुपमा चौधरी बताती हैं कि बच्चे के लिए शिशु आदि से दूध पिलाने के लिए दूध गर्म करने, बोतल की सफाई से छुटकारा मिलता है। स्तनपान के दौरान आमतौर पर छह से आठ माह तक मासिक धर्म नहीं होता। इस कारण गर्भ ठहरने की संभावना भी नहीं रहती। स्तनपान करने वाली माताओं को स्तन और गर्भाश्य कैंसर की संभावना कम रहती है। प्रसव के दौरान होने वाले घाव जल्दी भरते हैं। साथ ही सही सपोर्ट मिलने पर स्तन के लिगामेंट नहीं टूटते और उनका आकार भी खराब नहीं होता।