गरीब बेटियों की शक्ति बनीं आभा

महिला सशक्तीकरण और बेटियों के लिए कुछ कर गुजरने की बात हो तो आभा सिंह एक मिसाल बनकर सामने आयी हैं। उन्होंने न केवल बेटियों के भविष्य को रोशन करने का बीड़ा उठाया है बल्कि एक के बाद एक निर्धन बेटियों का भी विवाह कराने की जिम्मेदारी उठा रही हैं। उनकी कोशिश है कि अशिक्षा के अंधकार में फंसकर कोई बेटी उत्पीड़न का शिकार न हो।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 10:41 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 10:41 AM (IST)
गरीब बेटियों की शक्ति बनीं आभा
गरीब बेटियों की शक्ति बनीं आभा

जेएनएन, बिजनौर: महिला सशक्तीकरण और बेटियों के लिए कुछ कर गुजरने की बात हो तो आभा सिंह एक मिसाल बनकर सामने आयी हैं। उन्होंने न केवल बेटियों के भविष्य को रोशन करने का बीड़ा उठाया है, बल्कि एक के बाद एक निर्धन बेटियों का भी विवाह कराने की जिम्मेदारी उठा रही हैं। उनकी कोशिश है कि अशिक्षा के अंधकार में फंसकर कोई बेटी उत्पीड़न का शिकार न हो। उन्होंने संकल्प लिया है कि जो कदम अब आगे बढ़े हैं, वह पीछे नहीं हटने वाले।

गांव स्याऊ निवासी आभा सिंह वैसे तो फादरसन स्कूल की प्रबंधक हैं, लेकिन, समाजसेवा का जज्बा उन्हें पति पुष्पराज सिंह से मिला। समाज में गरीबी के चलते शिक्षा से दूर हो रही बेटियों के लिए उन्होंने पहल की। कहा जाए तो वह इल्म की रोशनी बांटने चल पड़ी हैं। इसके लिए आभा के नाम से फाउंडेशन का गठन किया। जिसके माध्यम से वह गांव-गांव गरीब बेटियों को तलाशने में लग गईं। उसके बाद उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास शुरू किया। उनका प्रयास सफल हुआ। उन्होंने 50 से अधिक निर्धन परिवार की बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा देने का जिम्मा उठाया। वह उन्हें गरीबी का एहसास नहीं होने दे रहीं, बल्कि शिक्षा की सीढि़यां चढ़ने की राह दिखा रही हैं।

33 बेटियों को करा चुकी हैं विवाह

आभा सिंह का कहना है कि समाज में निर्धनता के चलते कई बार गरीब बेटियों के विवाह में बहुत परेशानी आती है। परिवार के लोग भी बेबस नजर आते हैं। इसके लिए उन्होंने अनूठी पहल शुरू की। अलग-अलग स्थानों पर सामूहिक विवाह के कार्यक्रम आयोजित किए। फाउंडेशन के माध्यम से चांदपुर क्षेत्र के अलावा नूरपुर, ताजपुर, रावटी, नहटौर क्षेत्र के गांव बेगराजपुर आदि स्थानों पर सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित कराकर 33 बेटियों का विवाह करा चुकी हैं। बताया कि आगे भी यह कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे। गांव-गांव इस तरह की बेटियों को वह तलाशती रहती हैं।

बेटियों को बना रहीं स्वावलंबी

वैसे तो आभा सिंह का स्वयं का विद्यालय है। यहां पर वह कई बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दिला रही हैं, लेकिन, उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए अब वह गांव-गांव सिलाई केंद्र खोल रही हैं। अब तक वह गांव इस्माईलपुर, काजीशोरा, रावटी आदि में सिलाई केंद्र खोल चुकी हैं। जहां पर उन्हें निश्शुल्क सिलाई सिखाई जा रही है।

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