गर्मी बढ़ते ही ग्रामीणों को सताने लगी बिजली की आंख-मिचौली

गर्मी बढ़ते ही बिजली की कटौती भी शुरू हो गई है। देहात में शेड्यूल के अनुरूप बिजली नहीं दी जा रही है। जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण इसकी शिकायत कई बार विभागीय अधिकारियों से कर चुके हैं लेकिन समस्या का कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 11:09 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 11:09 PM (IST)
गर्मी बढ़ते ही ग्रामीणों को सताने लगी बिजली की आंख-मिचौली
गर्मी बढ़ते ही ग्रामीणों को सताने लगी बिजली की आंख-मिचौली

जेएनएन, बिजनौर। गर्मी बढ़ते ही बिजली की कटौती भी शुरू हो गई है। देहात में शेड्यूल के अनुरूप बिजली नहीं दी जा रही है। जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण इसकी शिकायत कई बार विभागीय अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन समस्या का कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है।

गर्मी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन दिन-प्रतिदिन बिजली की समस्या गहराती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में आठ से दस घंटे ही विद्युत आपूर्ति हो रही है। जबकि बताया जाता है कि गांवों में 18 घंटे विद्युत आपूर्ति का शेड्यूल है। इसके बावजूद बिजली आती भी है तो लो वोल्टेज की समस्या भी बनी रहती है। यदि मौसम में थोड़ा भी बदलाव आ जाए या फिर हवा चलनी शुरु हो जाए तो विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाती है।

स्थिति यह है कि दिन में तो बिजली के दर्शन तक नहीं हो पाते। रात में भी कई घंटे के लिए गायब हो जाती है। बिजली न आने से एक तो गर्मी ऊपर से मच्छर होने के चलते ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण कई बार इसकी शिकायत विद्युत विभाग के अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। वहीं, अधिशासी अभियंता वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि स्थानीय स्तर पर बिजली की कोई कटौती नहीं की जा रही है। गांवों में शेड्यूल के अनुसार विद्युत आपूर्ति हो रही है।

देर शाम मौसम ने बदली करवट, किसानों की चिता बढ़ी

पिछले दो दिनों से मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है। मंगलवार को जहां पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहे थे तो बुधवार को भी कुछ ऐसा ही मौसम रहा। हालांकि, देर शाम एक बार फिर मौसम ने करवट बदली और आसमान में बिजली कड़कने लगी और हवा भी चली। जिससे किसानों की चिता बढ़ गई। किसानों का कहना है कि यदि मौजूदा समय में बारिश होती है तो गेहूं की तैयार खड़ी फसल पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। वहीं, कटाई के बाद खेतों में पड़ा गेहूं भी खराब हो जाएगा।

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