गांवों में चौपालों पर बन रही चुनाव की रणनीति

किसान आंदोलन एवं पकने को तैयार रबी की फसल के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की डुगडुगी भी बज गई है। आरक्षण की अनंतिम सूची का प्रकाशन होने के उपरांत पंचायत चुनाव की राजनीति और तेज हो गई है। आरक्षण से गांवों के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। दावेदारों ने अपने-अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने के लिए दावतों के दौर शुरू कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 11:21 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 11:21 PM (IST)
गांवों में चौपालों पर बन रही चुनाव की रणनीति
गांवों में चौपालों पर बन रही चुनाव की रणनीति

जेएनएन, बिजनौर। किसान आंदोलन एवं पकने को तैयार रबी की फसल के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की डुगडुगी भी बज गई है। आरक्षण की अनंतिम सूची का प्रकाशन होने के उपरांत पंचायत चुनाव की राजनीति और तेज हो गई है। आरक्षण से गांवों के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। दावेदारों ने अपने-अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने के लिए दावतों के दौर शुरू कर दिए हैं। गांवों में चौपालों पर भी अग्रिम रणनीति बन रही है।

आरक्षण की सूची जारी होने के उपरांत पंचायत चुनाव की शासन व प्रशासन तथा विभिन्न पदों के दावेदारों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रशासन व पंचायत विभाग जारी सूची पर आने वाली आपत्तियों पर कार्य कर रहा है, तो वहीं दावेदार भी चुनावी मैदान में हर दांव पेंच खेलने में लग गए हैं। आरक्षण सूची में सीट परिवर्तन होने से काफी दावेदारों में मायूसी छा गई है। शनिवार को भी जिले में जारी सूची पर आपत्तियां आई हैं। जिन दावेदारों के पक्ष में आरक्षण हुआ। वह चुनाव में तेजी से जुट गए हैं। दावेदारों ने रणनीति बनाकर महिलाओं को रिझाने के लिए महिलाओं की टीम को मैदान में उतार दिया है। बुजुर्ग व युवा भी मैदान में उतरे हुए हैं। युवा दावेदार ग्रामीणों को विकास का दावा कर अपने पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं। दावेदार अपने अपने पक्ष में रिझाने को दावतें शुरू हो गई हैं। गांवों पर हुक्के के साथ चुनावी रणनीति बनाई जा रही है। वहीं आरक्षण की वजह से चुनाव से बाहर हुए व्यक्ति आपत्तियों के सहारे चुनाव में आने की आस लगाए हुए हैं। जिला पंचायत सदस्य पद के दावेदार भी अपने-अपने क्षेत्र में प्रचार प्रसार तेज कर रहे हैं।

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