आस्था और विश्वास के आगे टूट जाते हैं सारे बंधन

आस्था और विश्वास जब जुड़ता है तो धर्म-जाति के बंधन टूट जाते हैं। जी हां यहां भी कुछ ऐसा ही है। नजीबाबाद में स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर और श्री दिगंबर जैन सरजायती मंदिर की व्यवस्थाओं को पिछले कई वर्षों से अनुसूचित जाति के दंपती निभाते चले आ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 08:11 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 08:11 AM (IST)
आस्था और विश्वास के आगे टूट जाते हैं सारे बंधन
आस्था और विश्वास के आगे टूट जाते हैं सारे बंधन

जेएनएन, बिजनौर। आस्था और विश्वास जब जुड़ता है, तो धर्म-जाति के बंधन टूट जाते हैं। जी हां, यहां भी कुछ ऐसा ही है। नजीबाबाद में स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर और श्री दिगंबर जैन सरजायती मंदिर की व्यवस्थाओं को पिछले कई वर्षों से अनुसूचित जाति के दंपती निभाते चले आ रहे हैं। भगवान महावीर स्वामी और अन्य तीर्थंकरों की मूर्तियों की देखभाल करनी हो या धर्म-कर्म से जुड़े अन्य संसाधनों को संभालना हो, पति-पत्नी मिलकर इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ-साथ धर्म के प्रति आस्था और विश्वास को भी प्रदर्शित करते हैं।

अनुसूचित जाति वर्ग के हरपाल सिंह और उनकी पत्नी सुमन देवी पिछले करीब 20 वर्षों से जैन मंदिरों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जैन धर्म के प्रति उनमें आस्था भी काफी बढ़ी है। हरपाल सिंह दंपती सुबह चार बजे उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर ठीक पांच बजे मंदिर के द्वार खोल देते हैं। 5:30 बजे से श्रद्धालु पहुंचने लगते हैं, तो उनके साथ ही णमोकार मंत्र का जाप भी करते हैं और पूजा-पाठ के आयोजन में शामिल भी रहते हैं। हरपाल सिंह को जैन धर्म के 24 तीर्थंकर में कई तीर्थंकर के नाम भी कंठस्थ हैं। हरपाल सिंह कहते हैं कि परमात्मा एक है, दिव्य शक्ति का रूप एक ही है। मनुष्य का कर्तव्य है कर्म करना। मनुष्य के कर्म के अनुसार परमात्मा फल प्रदान करते हैं। -इनका कहना है

वास्तव में जितना हम लोग जैन धर्म की परंपराओं को बेहतर ढंग से नहीं निभा पाते हैं। हरपाल सिंह उतना ही आगे बढ़कर अपनी सेवाएं देते हैं। इतना ही नहीं पदयात्रा पर आने वाले दिगंबर मुनि भी उनकी सेवा से प्रभावित होते हैं। वे कई वर्षों से मंदिर की सभी व्यवस्थाओं में योगदान दे रहे हैं।

-नीरज जैन, मंत्री, श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर नजीबाबाद

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सेवक हरपाल सिंह ने अपने कार्य और व्यवहार से अपनी अलग पहचान बनाई है। समाज के लोग कभी उनकी आलोचना नहीं करते हैं। उन्होंने धर्म-जाति के भेद से ऊपर उठकर जैन धर्म की परंपराओं में अपनी भागेदारी प्रदर्शित की है। यह कोशिश निश्चित ही समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है।

-जिनेश्वर दास जैन, पूर्व प्रधान, श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर नजीबाबाद

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चरनजीत सिंह

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