अबकी ईद, सबकी ईद: खरीदारी के बजाए गरीबों में बांटें पैसा
जागरण संवाददाता भदोही कोरोना काल में ईद के नाम पर फिजूल खर्ची से बचने की जरूरत है। का
जागरण संवाददाता, भदोही : कोरोना काल में ईद के नाम पर फिजूल खर्ची से बचने की जरूरत है। कारोबार बंद होने से इस समय बड़ी संख्या में लोग तंगी से गुजर रहे हैं। ऐसे में जिन्हें उपरवाले ने नवाजा है वह ईद की खरीदारी के बजाए अपने गरीब पड़ोसी का ध्यान रखें। जो पैसा ईद की खरीदारी में खर्च करना है उसमें एक परिवार को एक माह का राशन भरवा दें। इसके बड़ा दूसरा कोई सदका नही हो सकता। बाजार में कपड़ों आदि की खरीदारी के लिए भागदौड़ करने वालों से उलेमा-ए-कराम द्वारा यही अपील की जा रही है। मौलाना फैसल हुसैन अशरफी का कहना है कि माहे रमजान में अदा की जाने वाली रकम सदक-ए-फित्र गरीबों व असहायों के लिए राहत का सामान बन सकती है। जिन लोगों ने अब तक जकात व फितरे की रकम जरूरतमंदों में नहीं बांटा है उन्हें जल्द से जल्द इस जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहिए।
कहा कि महामारी के इस दौर में जब लोगों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। महानगरों में कमाने वाले खाली हाथ घर अपने अपने घरों को लौट रहे हैं। मजदूरों, बुनकरों सहित अन्य लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में जरूरतमंदों तक सदक-ए-फित्र की रकम पहुंचाना बेहद जरूरी है। कहा कि अल्लाह ताअला ऐसे बंदों को अपनी रहमतों की पनाह में ले लेता है। जिन पर जकात फर्ज नहीं है वे सदक-ए-फित्र के रूप में गरीबों की मदद कर नेकी कमा सकते हैं। मौलाना ने बताया कि जकात जहां साहिबे निसाब यानी मालदार पर फर्ज है वहीं सदक-ए-फित्र वाजिब है। कहा कि यह रकम अगर ईमानदारी के साथ जरूरतमंदों तक पहुंचा दिए जाएं तो गरीबों को किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।