दूसरी शबे कद्र रात भर जागकर घरों में की गई इबादत
माह रमजान की दूसरी शबे कद्र बुधवार की रात लोगों ने अपने-अपने घरों में रात भर जागकर इबादत की। नवाफिल नमाज अदा करने के साथ कुरआन की तिलावत की गई। विशेषकर महिलाओं व बच्चों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया।
जागरण संवाददाता, भदोही : माह रमजान की दूसरी शबे कद्र बुधवार की रात लोगों ने अपने-अपने घरों में रात भर जागकर इबादत की। नवाफिल नमाज अदा करने के साथ कुरआन की तिलावत की गई। विशेषकर महिलाओं व बच्चों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दौरान आसमानी वबा (बला) से निजात दिलाने के लिए लोगों ने दोआ की।
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार मस्जिदों में शबीना का आयोजन नहीं किया जा रहा है। उलेमा ने शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए लोगों को अपने अपने घरों में इबादत करने की अपील की है।
उलेमा के अनुसार माह रमजान का अंतिम अशरा (अंतिम दस दिन) बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस अशरे की ताक रातों 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं व 29वीं को शबे कद्र कहा जाता है। इन रातों में जागकर इबादत करने वालों को आम दिनों की अपेक्षा हजार गुना अधिक सवाब मिलता है। यही कारण है कि हर साल इन ताक रातों में मस्जिदों में शबीना का आयोजन किया जाता था लेकिन इस बार कोविड गाइडलाइन के मद्देनजर लोग अपने अपने घरों में इबादत कर रहे हैं। मर्यादपट्टी स्थित मदरसा शमसिया तेगिया के प्रिसिपल मौलाना फैसल अशरफी का कहना है कि आखिरी अशरे की ताक रातों में लैलतुल कद्र की तलाश करना चाहिए। इसके लिए पांचों ताक रातों को जागकर इबादत करना जरूरी है।