भदोही नगर में शामिल गांवों में नहीं फूटी विकास की किरण
जासं भदोही नगर पालिका परिषद में शामिल ग्रामसभा अभयनपुर उर्फ लखनपुर गांव को जोड़ने वाल
जासं, भदोही : नगर पालिका परिषद में शामिल ग्रामसभा अभयनपुर उर्फ लखनपुर: गांव को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग जलजमाव व कीचड़ से भरा हुआ। जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर से प्रदूषित हो रहा वातावरण। गांव में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं। हैंडपंप व निजी संसाधनों के सहारे लोग बुझा रहे हैं प्यास। शाम होते ही अंधेरे का साम्राज्य कायम हो जाता है। स्ट्रीट लाइट है न ही प्रकाश की अन्य व्यवस्था। पिछले दो साल से ग्रामसभा में कोई विकास कार्य नहीं कराया गया। 10 माह पहले शासन ने भदोही नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार में जब इस ग्रामसभा को शामिल किया था तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। समझा जा रहा था कि अब गांव में विकास की गंगा बहेगी लेकिन सब कुछ ढाक के तीन पात साबित हुआ।
पालिकाध्यक्ष अशोक जायसवाल का दावा है कि शहर में शामिल गांवों के विकास के लिए योजना बनाकर काम किया जा रहा है। आवश्यकता के अनुसार विकास कार्य कराए जाएंगे। कुकरौठी व अहमदपुर फुलवरिया में नाला निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया है। एक-एक सफाई कर्मी नियुक्त कर दिए गए हैं। जहां अधिक गंदगी है वहां सफाईकर्मियों की गैंग भेजकर सफाई कराई जा रही है। इसके लिए 40 संविदाकर्मियों की नई नियुक्ति की गई है। नए शहरियों को आवश्यकता के अनुसार पानी के टैंकर व अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
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दस माह पहले जब ग्रामसभा को शहर में सम्मिलित किया गया था तो विकास की उम्मीद जगी थी लेकिन अब तो ग्रामीण न गांव के रहे न शहर के। पालिका प्रशासन के दावे हवा- हवाई है। गांव में कोई काम नहीं हो रहा है। न ही आगे होने की कोई उम्मीद है।
चित्र-22-मुकेश यादव।
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जब शहर के 25 वार्डो की जनता को पालिका प्रशासन बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में नाकाम है तो नए शहरियों को कितनी सुविधा दे पाएगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। सीमा विस्तार के बाद खुश होने वालों को यह समझने की जरूरत है।
चित्र-23-चंद्रशेखर।
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शासन द्वारा सीमा विस्तार किया गया है तो विकास भी सरकार कराने की क्षमता रखती है लेकिन इसके लिए पालिका को योजना बनाकर भेजना होगा। जब प्रस्ताव ही नहीं जाएगा तो शासन से धन कैसे मिलेगा, जब तक शासन से धन नहीं मिलेगा विकास की आस लगाना बेकार है।
चित्र 24-सुरेश यादव।
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ग्रामीण पहले ही मजे में थे। प्रधान के माध्यम से कुछ तो काम कराया जा रहा था लेकिन वह भी बंद हो गया। अब तो पालिका के रहमो करम पर लोग निर्भर होकर रह गए हैं। पालिका की मेहरबानी का इतंजार करने के अलावा ग्रामीणों के पास दूसरा रास्ता भी नहीं है।
चित्र-5-राहुल वनवासी।