आंधी हिला देती है बैरक, जान मुश्किल में
नगर पंचायत सहित 40 गांवों के 10 हजार से अधिक जनता के सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है उन्हें भी अपना सिर छुपाने की जगह नहीं है। कुछ जवान जहां जर्जर टीनशेड में रात गुजारते हैं तो कुछ ने अलग से किराए का कमरा लिया है।
जासं, भदोही : नगर पंचायत सहित 40 गांवों के 10 हजार से अधिक जनता के सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है, उन्हें भी अपना सिर छुपाने की जगह नहीं है। कुछ जवान जहां जर्जर टीनशेड में रात गुजारते हैं तो कुछ ने अलग से किराए का कमरा लिया है। नईबाजार पुलिस चौकी में प्रभारी समेत दो दारोगा व 14 जवानों की नियुक्ति है, इनमें चार हेड कांस्टेबल हैं तो पांच कांस्टेबल। किराए के जर्जर भवन में पुलिस चौकी भी स्थापित है। जो बारिश के दिनों में बैठने योग्य नहीं रहती। जर्जर टीन शेड को बैरक बनाया गया है, जिसकी दीवारें आंधी आने पर हिलने लगती है। जान जोखिम में डालकर कई जवान उसी में रहने को विवश हैं। कानून व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिस के जवानों के सामने मुश्किल खड़ी है। जवानों का कहना है कि बैरक में रात को नींद नहीं आती। यहां तक कि तेज हवा चलते ही लोगों को बिस्तर समेटना पड़ता है। कई जवान बीमार भी हो चुके हैं लेकिन चौकी भवन व बैरक स्थापना नहीं हुई।
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14 जवानों पर आठ किमी क्षेत्र की सुरक्षा
नईबाजार चौकी पुलिस का कार्यक्षेत्र आठ किमी के दायरे में फैला है। उत्तर में इंदिरा मिल चौराहे से लेकर मोरवा पुल जबकि दक्षिण में जौनपुर जनपद सीमा तक आपराधिक घटनाओं के रोकथाम की जिम्मेदारी 14 जवानों पर है। उसमें भी एक दो जवान अक्सर अवकाश पर रहते हैं। चौकी इंचार्ज रणविजय सिंह का कहना है कि कार्यक्षेत्र लंबा है, मगर जवानों की संख्या सीमित है। फिर भी ड्यूटी के लिये मुस्तैदी रहती है।
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अन्य चौकियों की हालत भी इतर नहीं
समस्या सिर्फ नईबाजार में नहीं है, बल्कि धौरहरा, रजपुरा व मोढ़ चौकियों की हालत भी इसी तरह है। दशकों तक कटरा बाजार स्थित गल्ला मंडी में स्थापित कस्बा चौकी दो साल पहले कोतवाली परिसर में कमरे से संचालित की जा रही है। रजपुरा व धौरहरा पुलिस चौकी का भवन भी बेहद जर्जर स्थिति है। चौकियों पर नियुक्त जवानों के रहने के लिए बैरक भी नहीं है।