महामारी के प्रभाव ने फीका किया त्योहारों का आनंद

जासं भदोही पैगंबरे इस्लाम की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) 12 रबीउल अव्वल 19 नवंबर को है। कोरोना म

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 05:42 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 05:42 PM (IST)
महामारी के प्रभाव ने फीका किया त्योहारों का आनंद
महामारी के प्रभाव ने फीका किया त्योहारों का आनंद

जासं, भदोही: पैगंबरे इस्लाम की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) 12 रबीउल अव्वल 19 नवंबर को है। कोरोना महामारी का प्रभाव भले ही समाप्त हो गया है लेकिन एहतियात के तौर पर अब भी सावधानी बरती जा रही है। शासन-प्रशासन की मंशा के अनुसार इस बार न तो सीरत कमेटी का जलसा होगा न ही जुलूस निकाले जाएंगे। ऐसे में लोग अपने-अपने घरों, मस्जिदों, खानकाहों की सजावट आदि करने में जुट गए। परंपरा के अनुसार महिलाएं नजरो नियाज आदि की तैयारियों में जुट गई हैं। सीरत कमेटी द्वारा आयोजित किया जाने वाला दो दिवसीय पारंपरिक जलसा इस साल भी रद कर दिया गया है। जबकि अन्य मोहल्लों में होने वाले छोटे-मोटे जलसे व मजलिसों का आयोजन शुरू नहीं हो सका। पिछले दिनों अधिकारियों ने अजीमुल्लाह चौराहे पर बैठक कर गाइडलाइंस के पालन पर बल देते हुए सहयोग की अपेक्षा की थी।

रबीउलअव्वल (बारावफात) मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस पर्व के दौरान घरों, मस्जिदों, खानकाहों की सजावट के साथ-साथ जलसों का आयोजन किया जाता है।

मदरसा शमसिया तेगिया (मर्यादपट्टी) के प्रिसिपल मौलाना फैसल हुसैन अशरफी का कहना है कि हालात पहले से काफी बेहतर हो चुके हैं बावजूद इसके जोखिम मोल लेने की जरूरत नहीं है। कहा कि घरों व मस्जिदों में सजावट कर अकीदत का इजहार किया जा सकता है।

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