तीन साल बाद भी उद्योग नीति का नहीं मिला लाभ

जासं भदोही औद्योगिक निवेश व रोजगार प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार जुलाई 2017 में बनाई गई नीति अमल में लाई गई होती तो शायद कालीन उद्योग की यह हालत न होती। कालीन निर्यात में प्रदेश को नीचा नहीं देखना पड़ता। सुविधाओं के अभाव में निर्यातक दूसरे प्रांतों में पलायन को विवश नहीं होते। देश का सबसे बड़ा कालीन केंद्र भदोही-मीरजापुर परिक्षेत्र उत्पादन व तैयारी तक सिमट कर नहीं रह जाता। कालीन कारोबारियों का मानना है कि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने शानदार नीति बनाई थी लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया। एक जनपद एक उद्योग (ओडीओपी) से मिलने वाले ऋण को छोड़ दिया जाए सरकार की तमाम योजनाएं कागजों में सिमट कर रह गईं। नीति के अंतर्गत उद्यमियों को राहत प्रदान करने व व्यापार को विकसित करने के लिए कई प्राविधान किए गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:37 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:37 PM (IST)
तीन साल बाद भी उद्योग नीति का नहीं मिला लाभ
तीन साल बाद भी उद्योग नीति का नहीं मिला लाभ

जासं, भदोही : औद्योगिक निवेश व रोजगार प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार जुलाई 2017 में बनाई गई नीति अमल में लाई गई होती तो शायद कालीन उद्योग की यह हालत न होती। कालीन निर्यात में प्रदेश को नीचा नहीं देखना पड़ता। सुविधाओं के अभाव में निर्यातक दूसरे प्रांतों में पलायन को विवश नहीं होते। देश का सबसे बड़ा कालीन केंद्र भदोही-मीरजापुर परिक्षेत्र उत्पादन व तैयारी तक सिमट कर नहीं रह जाता। कालीन कारोबारियों का मानना है कि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने शानदार नीति बनाई थी लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया।

एक जनपद एक उद्योग (ओडीओपी) से मिलने वाले ऋण को छोड़ दिया जाए सरकार की तमाम योजनाएं कागजों में सिमट कर रह गईं। नीति के अंतर्गत उद्यमियों को राहत प्रदान करने व व्यापार को विकसित करने के लिए कई प्राविधान किए गए हैं। नया उद्योग स्थापित करने के साथ- साथ लैंड रजिस्ट्री पर भी छूट प्रदान की गई है। योजना के तहत उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन के क्रय पर 50 फीसद सब्सिडी के साथ- साथ स्टैंप ड्यूटी में 50 फीसद छूट देने का प्राविधान किया गया है। व्यवसाय के लिए बैंकों से फाइनेंस कराने पर ब्याज में छूट की व्यवस्था है। इसके अलावा भी कई बिदुओं पर उद्यमियों को लाभ पहुंचाया जा सकता था लेकिन सरकार की उद्योग नीति पर अमल को कौन कहे उल्टा शोषण किया जा रहा है।

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रोजगार उद्योगों को स्थापित करने व पहले से स्थापित उद्योगों को विकसित करने के उद्देश्य से सरकार ने 2017 से 2022 तक के लिए कारगर नीति बनाई थी। उस पर अमल किया गया होता तो उद्योग को यह दिन नहीं देखना पडता।

चित्र-22 पीयूष बरनवाल, निर्यातक

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सरकार उद्योग हित को लेकर गंभीर है। इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन नीति को धरातल पर लाना जरूरी है तभी इससे लोग लाभान्वित होंगे। 13 अगस्त की बैठक में एमएसएमई के अपर प्रमुख सचिव डा. नवनीत सहगल के सामने अन्य बिदुओं के साथ इसे भी रखा जाएगा।

चित्र-23 इम्तियाज अंसारी, निर्यातक

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