लव-कुश की जन्मस्थली को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) काशी और प्रयाग के बीच स्थित पौराणिक सीतामढ़ी का संदभ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 07:27 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 07:27 PM (IST)
लव-कुश की जन्मस्थली को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
लव-कुश की जन्मस्थली को नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : काशी और प्रयाग के बीच स्थित पौराणिक सीतामढ़ी का संदर्भ त्रेताकाल से जुड़ता है। यहां महर्षि वाल्मीकि का वह आश्रम है जहां जगत जननी मां सीता के निवास करने और श्रीराम-पुत्रों लव व कुश के जन्म का प्रसंग शास्त्रों में वर्णित है। शास्त्र सिद्ध ऐसे दुर्लभ प्रसंग से संबंध रखने वाले वाल्मीकि आश्रम व सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी को जनपद सृजन के दो दशक बाद भी पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया है।

मोक्षदायिनी तट पर स्थित लव-कुश की जन्मस्थली एवं आदि शक्ति जगत जननी मां सीता की समाहित स्थल सीतामढ़ी के विकास को लेकर दावे तो बहुत हुए लेकिन वास्तविक धरातल पर सरकारी नजरों में अभी भी उपेक्षित है। स्थानीय बुजुर्गों की माने तो करीब तीन दशक पूर्व आए स्वामी जितेन्द्रनाथ तीर्थ इस पौराणिक स्थल से बहुत ही आकर्षित हुए। यहां पर एक कुटिया बनाकर, इस स्थल को भव्य बनाने में जुट गए। उनके द्वारा सीता समाहित ट्रस्ट की स्थापना की गई। कुछ ही दिनों में ही करंट लगने से उनकी मौत हो गई। इसके पश्चात सीतामढ़ी समाहित स्थल के ट्रस्टी सत्यनारायण पुंज ने अपने स्तर से नये मंदिर का निर्माण करवाकर विकास का रूप रेखा तैयार की। उस दौरान सपत्नीक आए तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने मंदिर का शिलान्यास किया था। उस समय उम्मीद जगी थी कि न सिर्फ विकास को गति मिलेगी बल्कि सीता समाहित स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा भी मिल सकता है। हकीकत तो यह है कि अभी भी मूलरूप से वाल्मीकि आश्रम विकास से उपेक्षित पड़ा हुआ है। वाल्मीकि आश्रम के लिए महाराजा काशी नरेश द्वारा कई एकड़ भूमि दान में दिया गया है लेकिन काफी हिस्से भूमि पर स्थानीय लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। विकास को लेकर कई बार प्रस्ताव और प्रोजेक्ट तैयार किए गए लेकिन सरकार की ओर से धेला भी नहीं मिल पाया। प्रत्येक वर्ष यहां पर हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके बाद भी अभी तक यह पौराणिक एवं धार्मिक स्थल पर्यटन विभाग के नक्शे में शामिल नहीं हुआ। जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन की ओर से भी इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

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धर्मिक स्थलों की नहीं बदली तस्वीर

शासन की ओर से तीनों विधानसभा में पयर्टन स्थल के रूप में धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए योजना बनाई थी। इसके लिए बजट भी जारी किया गया था। विधायक भदोही रवींद्रनाथ त्रिपाठी ने चौगुना और औराई विधायक ने अर्जुनपट्टी तथा ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र ने सेमराध धाम का प्रस्ताव भेजा था। सरकार की और से भदोही और औराई के लिए बजट भी जारी कर दिया गया था। इसके बाद भी तस्वीर नहीं बदली।

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