हरी खाद के लिए करें ढैंचा-सनई की बोआई
मिट्टी की उर्वरता कायम रहे उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित हो
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मिट्टी की उर्वरता कायम रहे, उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित हो इसके लिए जरूरी है कि मिट्टी का स्वास्थ्य संतुलित रहना चाहिए। हरी खाद से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई की बोआई का समय शुरू हो चुका है। कैसे करें बोआई तो हरी खाद के क्या हैं फायदे आदि को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि विशेषज्ञ डा. आरपी चौधरी ने जरूरी जानकारी साझा की।
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कैसे करें बोआई
- हरी खाद के लिए ढैंचा व सनई की बोआई अप्रैल के दूसरे पखवारे से शुरू हो जाती है। किसान खेत का पलेवा कर बोआई कर सकते हैं। प्रति हेक्टेयर बोआई के लिए 60 किलो ढैंचा व 80 किलो सनई बीज बीज की आवश्यकता होगी। ढैंचा के लिए हिसार ढैंचा वन एवं नरेंद्र ढैंचा वन प्रजाति के बीच की बोआई करना बेहतर होगा।
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कैसे तैयार होगी हरी खाद
- ढैंचा व सनई के पौधे जब 40 से 60 दिन के हो जाएंगे तो गहरी जोताई करा पूरी फसल को मिट्टी में मिला देना चाहिए। फसल को पलटते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। इसके बाद पौधे सड़कर मिट्टी में हरी खाद का काम करेंगे।
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क्या होगा लाभ
- हरी खाद से मिट्टी में जीवांश पदार्थ व पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। पोषक तत्वों का निछालन कम से कम होता है।
- भूमि की जल धारण, संचयन एवं वायु संचार क्षमता में वृद्धि होती है। लाभदायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता भी बढ़ती है। फसलोत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है।
- खर पतवार नियंत्रण में आसानी होती है। पौधों में रोग व कीटों के लगने की संभावना कम हो जाती है। नत्रजन की मात्रा बढ़ती है। हरी खाद क्षारीय भूमि को सुधारकर खेती के योग्य बनाती है।