सदक-ए-फित्र: गरीबों के लिए राहत का सामान है सदका

माहे रमजान में अदा की जाने वाली रकम सदक-ए-फित्र गरीबों व असहायों के लिए र

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 04:55 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 04:55 PM (IST)
सदक-ए-फित्र: गरीबों के लिए राहत का सामान है सदका
सदक-ए-फित्र: गरीबों के लिए राहत का सामान है सदका

जासं, भदोही : माहे रमजान में अदा की जाने वाली रकम सदक-ए-फित्र गरीबों व असहायों के लिए राहत का सामान बन सकती है। विशेषकर महामारी के इस दौर में जब लोगों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। महानगरों में कमाने वाले खाली हाथ घर अपने अपने घरों को लौट रहे हैं। मजदूरों, बुनकरों सहित अन्य लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में जरूरतमंदों तक सदक-ए-फित्र की रकम पहुंचाना बेहद जरूरी है। उलेमा बताते हैं कि रमजान जहां इबादतों का महीना वहीं इस महीने में गरीबों, असहायों की दिल खोलकर मदद करने करना चाहिए। अल्लाह ताअला ऐसे बंदों को अपनी रहमतों की पनाह में ले लेता है। कहा कि जिन पर जकात फर्ज नहीं है वे सदक-ए-फित्र के रूप में गरीबों की मदद कर सकते हैं।

मौलाना फैसल हुसैन अशरफी ने बताया कि अल्लाह ताअला ने अपने बंदों के लिए हर मुश्किल का हल पहले ही निकाल दिया है। बस उस पर अमल करने की जरूरत है। कहा कि जकात जहां साहिबे निसाब यानी मालदार पर फर्ज है वहीं सदक-ए-फित्र वाजिब है। कहा कि यह रकम अगर इमानदारी के साथ जरूरतमंदों तक पहुंचा दिए जाएं तो गरीबों को किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कहा कि सदक-ए-फित्र ईद की नमाज से पहले अदा होना चाहिए लेकिन हालात के ममद्देनजर इस बार जल्द से जल्द अदा कर दिया जाना चाहिए ताकि जरूरतमंद उस पैसे का अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग कर सकें। कहा कि पिछले साल की तरह इस बार भी हालात ठीक नहीं है। ऐसे में जितनी जल्दी हो सके लोगों को सदक-ए-फित्र व जकात की रकम जरूरतमंदों में बांट देना चाहिए।

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