ब्याज सब्सिडी की समय सीमा बढ़ने से निर्यातकों को राहत
वैश्विक महामारी के दौरान दम तोड़ रहे कालीन उद्योग को रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने ब्याज सब्सिड़ी का लाभ उठाने के लिए तीन माह तक का अवसर प्रदान की है। केंद्र सरकार से मिलने वाली पांच फीसद सब्सिडी का लाभ उठाने का समय 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया है।
जासं, भदोही : वैश्विक महामारी के दौरान दम तोड़ रहे कालीन उद्योग को रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने ब्याज सब्सिड़ी का लाभ उठाने के लिए तीन माह तक का अवसर प्रदान की है। केंद्र सरकार से मिलने वाली पांच फीसद सब्सिडी का लाभ उठाने का समय 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया है। इससे निर्यातकों को काफी राहत मिल गई।
सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर में काम करने वाले उद्यमियों को ऋण लेने पर सरकार की ओर से ब्याज में पांच फीसद की सब्सिडी दी जाती है। आरबीआई के माध्यम से यह स्कीम लंबे समय से चल रही है। इसकी समयावधि 31 मार्च को समाप्त हो गई थी। व्यापक स्तर पर मंदी के दौरान राहत के तौर पर मिलने वाली पांच फीसद सब्सिडी होने से निर्यातक चितित थे। इस संबंध में पिछले दिनों वित्त मंत्रालय के सामने औद्योगिक संगठनों ने समस्या उठाई थी। इस संबंध में गोपीगंज के प्रमुख कालीन निर्यातक संजय गुप्ता का कहना है कि मंदी के दौर में इतनी रियायत कम नहीं है। इससे निर्यातकों को राहत मिल जाएगी।
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काफी पहले से योजना थी, जिसकी समयावधि 31 मार्च को खत्म हो गई थी। कालीन उद्योग की बदहाली को देखते हुए इसे कम से कम एक साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए था। बावजूद इसके तीन माह की मोहलत देकर कुछ राहत जरूर प्रदान की गई है।
चित्र-20-राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, निर्यातक।
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इंट्रेस्ट सबवेंशन में यदि बैंक 8 फीसद ब्याज लगाता है तो उसमें 5 फीसद की छूट मिल जाती है। निर्यातक को कर्ज पर मात्र 3 फीसद ब्याज अदा करना पड़ता है। इससे निर्यातकों को ब्याज में रियायत मिल जाती है। कालीन उद्योग की हालत देखते हुए और विस्तार मिलना चाहिए।
चित्र-21-पीयूष बरनवाल, निर्यातक।