लोकार्पण की तैयारी, दूर नहीं हुई शौचालयों की दुश्वारी

------- जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) डीघ ब्लाक क्षेत्र के भीखीपुर गांव में निर्मित सामुदा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 03:58 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 03:58 PM (IST)
लोकार्पण की तैयारी, दूर नहीं हुई शौचालयों की दुश्वारी
लोकार्पण की तैयारी, दूर नहीं हुई शौचालयों की दुश्वारी

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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : डीघ ब्लाक क्षेत्र के भीखीपुर गांव में निर्मित सामुदायिक शौचालय में फर्श आदि का कार्य पूरा नहीं हो सका है। दरवाजे में ताला लटक रहा है। अभी तक संचालन नहीं हो सका। इसी तरह ब्लाक क्षेत्र के ही सोनैचा, कोइरौना तो भदोही ब्लाक के रजईपुर गोहिलांव में शौचालय का निर्माण कार्य अभी लटका हुआ है। थोड़ी दीवार खड़ी कर काम को बंद कर दिया गया है। ज्ञानपुर ब्लाक के सदौपुर गांव में पूरा पैसा निकालने के बाद भी शौचालय का निर्माण कार्य पूरा नहीं कराया गया। तत्कालीन सचिव के खिलाफ निर्माण पूरा न कराने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है, जबकि औराई ब्लाक क्षेत्र के बाबूसराय में बने शौचालय में आज तक ताला ही लटका है। संचालन शुरू नहीं हो सका। संचालन के नाम पर महिला समूहों के खाते में धनराशि भी भेजी जा चुकी है।

दरअसल, यह तो उदाहरण मात्र है। 24 अक्टूबर को जिले की 546 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत निर्मित कराए गए जिन सामुदायिक शौचालयों को मुख्यमंत्री के हाथों लोकार्पण कराने की तैयारी की गई है उनकी दुश्वारी अभी तक दूर नहीं हो सकी है। तमाम शौचालयों का निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो सका है। पूर्व प्रधान व सचिवों की ओर से पूरा पैसा निकाल लिए जाने व नवनिर्वाचित प्रधानों की ओर से निर्माण पूरा कराने को लेकर हाथ खड़े किए जाने से पेच फंसा है। वहीं जहां निर्मित भी हैं तो वहां ताला लटकता दिख रहा है। जबकि शौचालयों के संचालन के नाम पर महिला समूहों को पारिश्रमिक के रूप में 27 से 54 हजार रुपये तक का भुगतान चार माह पहले ही कर दिया गया है।

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मुख्यमंत्री जी ! आश्रय स्थल नहीं पहुंच रहे गोवंश

- मुख्यमंत्री जी ! गोवंश को सुरक्षित व ठिकाना देने के लिए आपकी ओर से गो-आश्रय स्थल की स्थापना कराई गई है। आश्रय स्थलों के संचालन के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा भी हो रहा है, लेकिन सड़क से लेकर खेतों तक मवेशी टहलते दिख रहे हैं। उन्हें आश्रय स्थल नहीं पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में एक ओर जहां उन्हें ठिकाना नहीं मिल रहा है तो वहीं किसानों की फसल भी बर्बाद हो रही है।

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