सावन पर भगवान शंकर के पूजन को उमड़े आस्थावान
- काशी व प्रयाग के मध्य पश्चिम वाहिनी गंगा के तट पर स्थित इटहरा गांव में विद्यमान बाबा गंगेश्वरन
- काशी व प्रयाग के मध्य पश्चिम वाहिनी गंगा के तट पर स्थित इटहरा गांव में विद्यमान बाबा गंगेश्वरनाथ मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। मंदिर में विराजमान देवाधिदेव महादेव के दर पर पहुंचकर मत्था टेकने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाराजा काशी नरेश द्वार संरक्षित यह स्थान गंगा के पश्चिम वाहिनी जलधारा के सम्मुख हैं। सावन में यहां श्रद्वालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
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इतिहास :
यहां स्वयंभू शिवलिग स्थापित है। गंगा के पश्चिम किनारे पर सैकड़ों वर्ष से पूजा पाठ हो रहा है। उनके प्रभाव की अनेक जनश्रुतियां है। महाराजा काशी नरेश ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसके अलावा भी बाबा गंगेश्वरनाथ को लेकर अलग-अलग इतिहास है।
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विशेषता:
बाबा गंगेश्वर का दर्शन मात्र से जीवन के सभी कष्ट स्वत: समाप्त हो जाते हैं। मान्यता है कि सावन में एक बार जरूर गंगा जी मंदिर की सीढ़ी तक आती हैं। यही नहीं शिखर पर स्थापित त्रिशुल वर्ष भर एक बार अपनी जगह से घूम जाता है। वैसे यहां पर पूरे साल आस्थावान आते हैं लेकिन सावन में भीड़ लग जाती है। ----------
- बाबा गंगेश्वरनाथ महादेव मंदिर के भोलेनाथ समस्त प्राणियों के पालक है। वह अपने भक्तों के भाव को जल्द ही समझ जाते हैं। बाबा के दरबार में सच्ची श्रद्धा से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। चित्र.13. चंद्रशेखर गिरि, पुजारी ---------
- प्रति दिन मन्दिर में पहुंचकर दर्शन के उपरांत ही घर का काम शुरू करते हैं। बाबा गंगेश्वर नाथ की महिमा अपरंपार है। यहां पहुंचकर मत्था टेकने से मन को शांति मिलती है।
चित्र.14----- भोलानाथ यादव, भक्त