तीन माह से शादी न कार्यक्रम, 15 आरओ प्लांट बंद

सुभाष नगर के विनोद कुमार गांव में ही आरओ प्लांट लगाकर ग्राहकों को शुद्ध पानी आपूर्ति के कारोबारी हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौर में मांगलिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध व ग्राहकों में संक्रमण का खौफ होने से आरओ वाटर की मांग में गिरावट आई है। जिससे पूरा व्यवसाय ही चौपट हो गया। घाटा आने के बाद भी प्लांट को चालू रखा है। रोजी-रोटी की आस में पांच लाख रुपये की लागत से प्लांट चालू किया था। पिछले वर्ष सीजन में ढाई लाख रुपये की आय हुई थी। इस वर्ष मांगलिक कार्यक्रमों में एक भी आर्डर न मिलने से नुकसान हुआ। इस समय मात्र 20 से 25 बाटल की मांग इस समय है। जबकि प्रतिदिन का खर्च सात सौ रुपये है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 06:33 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:33 PM (IST)
तीन माह से शादी न कार्यक्रम, 15 आरओ प्लांट बंद
तीन माह से शादी न कार्यक्रम, 15 आरओ प्लांट बंद

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : पिछले साल लगन का महीना मार्च से जून था, इस बीच आरओ वॉटर प्लांट खूब चले। लोगों ने पानी पिलाया और जमकर पैसा कमाया। फिर पूंजी और लगाई और इस साल प्लांट की क्षमता बढ़ाई। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार के लगन में वह अपने कारोबार को और चमकाएंगे। लेकिन हुआ उल्टा। कोरोना महामारी की ऐसी काली नजर लगी कि जिले में 15 आरओ वाटर प्लांट बंद हो गये। सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए।

कारण कि इस बार न कोई शादी समारोह हुआ और न ही भव्य कार्यक्रम। होटल, लॉज और रेस्टोरेंट भी नहीं चले। रही-सही कसर टूट गई। जिले में पिछले साल के लगन के दौरान करीब 4750 जॉर आरओ वाटर प्रतिदिन बिका था, जो इस बार बमुश्किल दो हजार पर सिमट गया है। तीन महीने के संकट भरे इस लॉकडाउन के बाद अब वह फिर से कारोबार को पटरी पर लाने की तैयारी करते दिखाई पड़ रहे हैं।

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केस 1 : सुभाष नगर के विनोद कुमार गांव में ही आरओ प्लांट चलाते हैं। बताया कि लॉकडाउन में मांगलिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध व ग्राहकों में संक्रमण का खौफ होने से आरओ वाटर की मांग घट गई। व्यवसाय चौपट हो गया। घाटा आने के बाद भी प्लांट को चालू रखा। पांच लाख रुपये से यह प्लांट लगाया था। पिछले सीजन में ढाई लाख रुपये की आय हुई थी। इस बार एक भी आर्डर नहीं मिले। इस समय मात्र 20 से 25 जॉर की मांग रह गई है। 20 लीटर की एक जॉर 20 रुपये में बिकती है। प्लांट चलाने में प्रतिदिन सात सौ रुपये खर्च हो रहे हैं।

केस 2 : सीतामढ़ी नारेपार निवासी विनय कुमार शुक्ल भी आरओ कारोबार में नुकसान झेल चुके हैं। कहते हैं कि दो वर्ष पहले 4.50 लाख रुपये से प्लांट लगाया था। नया व्यवसाय होने की वजह से मात्र 40 हजार रुपये की कमाई हुई थी। इस वर्ष सीजन में अच्छी आय की उम्मीद थी। मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक से एक भी आर्डर नहीं मिला, जिससे व्यवसाय में नुकसान हुआ। अब चालक ही कारोबार संभाल रहा है। घाटा होने की वजह से अब अपना प्लांट 10 हजार रुपये प्रति माह के ठेके पर देने की सोच रहा हूं।

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एक नजर

25 : आरओ प्लांट पंजीकृत

70 : प्लांट गैर पंजीकृत

15 : प्लांट महामारी में बंद

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बहुतों ने घरों में लगवा लिया मशीन

कोरोना के खौफ से अधिकांश ग्राहक आरओ पानी खरीदना बंद कर दिए हैं। अभी तक सप्लायरों से आरओ पानी की आपूर्ति लेने वाले कई लोग शुद्ध पानी के लिए घरों में ही आरओ मशीन लगवा रहे हैं।

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आरओ प्लांट संचालन व शुद्धता की पड़ताल नियमित की जाती है। कई प्लांट घाटे के चलते बंद हो गए हैं। कुछ लोगों के पानी की गुणवत्ता की शिकायत मिली थी, जांच कराई जा रही है।

- मंजूला सिंह, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग

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