पांचवें दिन विधि-विधान से पूजी गईं मां स्कंदमाता

वासंतिक नवरात्र के पांचवें दिन आदि शक्ति के पांचवें स्वरूप की पूजन अर्चन हुई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 03:35 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 03:35 PM (IST)
पांचवें दिन विधि-विधान से पूजी गईं मां स्कंदमाता
पांचवें दिन विधि-विधान से पूजी गईं मां स्कंदमाता

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): वासंतिक नवरात्र के पांचवें दिन आदि शक्ति के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता विधि-विधान से पूजी गईं। इस दौरान देवी पाठ एवं मंत्रों से गांव और नगर गुंजायमान रहे। गर्मी और उमस के बाद भी आदि शक्ति की एक झलक पाने के लिए देवी भक्त बेताब दिखे। घंटा- घड़ियाल की गगनभेदी आवाज से पूरा वातावरण भी देवीमय हो गया है। देवी मंदिरों पर सुरक्षा का इंतजाम एवं साफ- सफाई न होने से भक्तों भारी दिक्कत उठानी पड़ी।

मौसम के तल्ख तेवर से देवी भक्तों की दिक्कत बढ़ गई है। नौ दिनों तक अनुष्ठान एवं व्रत रहने वाले भक्त प्यास से व्याकुल हैं। बावजूद इसके भक्तों की आस्था इस पर भारी पड़ रही है। शनिवार को देवी मंदिरों में भक्तों की सुबह से ही लंबी कतार लगी रही। पूजन सामग्री से सजी थाल, नारियल, चुनरी के साथ भक्त विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर रहे थे। आदि शक्ति के एक झलक पाने के लिए लोग आतुर दिखे। नगर के घोपइला माता मंदिर पर भोर से ही आदि शक्ति के दर्शन को भक्तों की कतार लगी रही। गोपीगंज स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर, काली देवी मंदिर, कबूतरनाथ मंदिर आदि स्थानों पर देवी भक्तों का ताता लगा रहा। महिला-पुरुष दर्शन पूजन कर देवी की स्तुति कर रहे थे। इस दौरान घंटा- घड़ियाल के साथ गगनभेदी जयकरे से पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहा। इसी तरह औराई, महराजगंज, बाबूसराय, ऊंज और सीतामढ़ी आदि क्षेत्रों में स्थित देवी मंदिरों में आस्थावानों की भीड़ लगी रही। आज पूंजी जाएंगी मां कात्यायनी

वासंतिक नवरात्र के छठवें दिन आदि शक्ति के छठवें स्वरूप कात्यायनी देवी के दर्शन विधान है। विद्वानों के अनुसार भगवती दुर्गा देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुईं। तदनंतर भगवती कात्यायनी के नाम से विख्यात हुईं। इनका स्वरूप भव्य, दिव्य और वर्ण स्वर्ण समान चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। माता के दाहिनी ओर के ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में तथा नीचे वर मुद्रा में तो बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। भगवती का यह स्वरूप देवताओं की मनोकामना पूर्ण करने के लिए हुई थी।

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