नौ करोड़ से स्थापित माडर्न डाइंग प्लांट में लगा जंग

जासं भदोही औद्योगिक संगठनों व निर्यातकों की ओर से सरकारों पर आए दिन कालीन उद्योग के प्र

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 09:27 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 09:27 PM (IST)
नौ करोड़ से स्थापित माडर्न डाइंग प्लांट में लगा जंग
नौ करोड़ से स्थापित माडर्न डाइंग प्लांट में लगा जंग

जासं, भदोही : औद्योगिक संगठनों व निर्यातकों की ओर से सरकारों पर आए दिन कालीन उद्योग के प्रति असहयोग का आरोप लगाया जाता है। उद्योग की बदहाली के लिए सरकारों को जिम्मेदार ठहराने से लोग नहीं चूकते जबकि वास्तविकता की धरातल पर स्थिति भिन्न है। इसकी बानगी कारपेट सिटी में देखी जा सकती है।

कालीन निर्यातकों की मांग पर सरकार ने 2013 में एसाइड योजना के तहत भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीडा) के माध्यम से 906.06 लाख की लागत से माडर्न डाइंग हाउस एवं प्लांट की स्थापना की थी। इसके संचालन की जिम्मेदारी भावना बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी गई थी। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि महज कुछ दिनों तक संचालित होने के बाद प्लांट पर ताला लटक गया। प्लांट की मशीनें जंग खा रही हैं जबकि परिसर में झाड़ झंखाड़ उग चुके हैं। इस संबंध में न तो बीडा अधिकारी संज्ञान ले रहे हैं न ही संबंधित विभाग गंभीर हो रहा है। उधर प्लांट स्थापना मांग करने वाले निर्यातक व संगठन के पदाधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। जबकि सरकार द्वारा प्रदत्त भारी भरकम धन प्लांट में फंस कर रह गया है। उद्योग को गति देने व उद्यमियों की समस्या का समाधान करने के लिए कातियों की डाइंग व कालीनों की बैकिग के लिए प्लांट स्थापित करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। 14 मई को 2013 को परियोजना को पूर्ण करने के बाद अभी तक संचालन नहीं हो सका।

-----------------

मार्डन डाइंग प्लांट की स्थापना के लिए शासन ने बीडा को कार्यदायी संस्था बनाया था। बीडा ने प्लांट स्थापित कर लघु उद्योग विभाग को हैंडओवर कर दिया। इसके संचालन की जिम्मेदारी जीएम डीआईसी द्वारा पीएसवी को सौंपी गई थी। प्लांट क्यों बंद हो गया यह तो पता नहीं लेकिन बीडा की एक करोड कीमत की जमीन का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है। इस संबंध में बीडा ने एसपीवी को आरसी भी जारी किया है।

ओपी सिंह, अधिशासी अभियंता, बीडा।

chat bot
आपका साथी