श्रीराम के जन्म पर झूमी अयोध्या नगरी

स्थानीय बाजार में चल रहे सात दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन राम जन्म व ताड़का वध मंचन संपन्न हुआ। जहां सोनभद्र से आए कलाकारों द्वारा सजीव मंचन कर जय श्रीराम का जयकारा लगवाने में कसर नहीं छोड़ी। तो वहीं लोग देर रात तक लीला को देखने के लिए पंडाल में डटे रहे। मंगलवार की रात कलाकारों ने दिखाया कि अयोध्या नरेश महाराज दशरथ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 05:38 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 05:38 PM (IST)
श्रीराम के जन्म पर झूमी अयोध्या नगरी
श्रीराम के जन्म पर झूमी अयोध्या नगरी

जासं, चौरी (भदोही) : स्थानीय बाजार में चल रही सात  दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन राम जन्म व ताड़का वध का मंचन हुआ। सोनभद्र से आए कलाकारों ने सजीव मंचन कर जय श्रीराम का जयकारा लगवाने में कसर नहीं छोड़ी। लोग देर रात तक लीला देखने के लिए डटे रहे।

मंगलवार की रात कलाकारों ने दिखाया कि अयोध्या नरेश महाराज दशरथ का चौथापन आने के बाद भी कोई संतान नहीं थी। इस बात को लेकर वे काफी मायूस थे। कुलगुरु वशिष्ठ के पास जाकर अपना दु:ख प्रकट करते हैं। गुरु के परामर्श पर श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्र की प्राप्ति के लिए राजमहल में पुत्रेष्टि यज्ञ का अयोजन किया जाता है। फलस्वरूप महाराज के घर चार पुत्रों का जन्म होता है। पुत्रों के जन्म पर अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है और दासियों को उपहार दिया जाता है। गुरु वशिष्ठ चारों पुत्रों का नामकरण राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न करते हैं। विश्वामित्र द्वारा किए जा रहे यज्ञ को असुर पूर्ण नहीं होने दे रहे थे। विश्वामित्र को पता चलता है कि अयोध्या में महाराज दशरथ के यहां राम के रूप में स्वयं भगवान ने जन्म लिया है। विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के लिए अयोध्या नरेश के यहां पहुंच कर राम व लक्ष्मण को अपने साथ चलने का आग्रह करते हैं। वन जाते समय अनेक असुरों का वध राम के हाथों होता है। कुछ दूर जाने पर उनका सामना ताड़का नामक विशाल राक्षसी से होता है। युद्ध के दौरान राम के हाथों  तड़का भी मारी जाती है। यहीं मंचन का समापन होता है।

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