संस्कृत संवर्धन में डा. कपिलदेव का महत्वपूर्ण योगदान

-- संगोष्ठी - चार विद्वतजन डा. कपिलदेव स्मृति विश्वभारती सम्मान से विभूषित - आनलाइन संगोष्ठी में डा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 04:54 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 04:54 PM (IST)
संस्कृत संवर्धन में डा. कपिलदेव का महत्वपूर्ण योगदान
संस्कृत संवर्धन में डा. कपिलदेव का महत्वपूर्ण योगदान

-- संगोष्ठी

- चार विद्वतजन डा. कपिलदेव स्मृति विश्वभारती सम्मान से विभूषित

- आनलाइन संगोष्ठी में डा. द्विवेदी के योगदान पर डाला गया प्रकाश

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : संस्कृत एक जीवंत भाषा है। इसके संवर्धन में पद्मश्री डा. कपिलदेव द्विवेदी का महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व भारती अनुसंधान परिषद ज्ञानपुर व चातुर्वेद संस्कृत प्रचार संस्थानम वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृत के संवर्धन में डा. कपिलदेव द्विवेदी का अवदान विषयक राष्ट्रीय व्याख्यान गोष्ठी (वर्चुअल) में डा. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के आचार्य डा. हरिप्रसाद अधिकारी ने यह बातें कहीं। कहा कि उनकी रचनाओं से लाखों छात्रों ने संस्कृत सीखी है।

आचार्य डा. सद्मुम्न ने कहा कि डा. द्विवेदी ने संस्कृत के जरिए अपना जीवन व्यतीत किया तो संस्कृत से जीवन जीने का मार्गदर्शन किया। वे मनसा, वाचा और कर्मणा संस्कृत के लिए समर्पित थे। डा. नवलता लखनऊ ने डा. द्विवेदी के वास्तविक, तात्विक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक अर्थ का प्रणयन किया। उन्हें संस्कृत जीवन शैली का आदर्श ऋषि बताया। अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा. प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि वेद व संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा है। डा. द्विवेदी के लिखे ग्रंथ आज भी मार्गदर्शक का काम कर रहे हैं। इस दौरान प्रो. रूपकिशोर शास्त्री, प्रो. हरप्रसाद अधिकारी, डा. सद्युम्न आचार्य व डा. नवलता को डा. कपिलदेव द्विवेदी स्मृति विश्वभारती सम्मान 2021 से सम्मानित किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ आचार्य विमलेश सुखवाल ने वैदिक मंगलाचरण से किया। गोष्ठी में विजय पांडेय, डा. शंभू त्रिपाठी, डा. चंद्रकांत शुक्ल ने प्रतिभाग किया। स्वागत डा. भारतेंदु द्विवेदी व आभार ज्ञापन डा. ऋचा ने किया।

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