बाजार में बने रहना है तो करना होगा नया प्रयोग

जासं भदोही महंगे हस्तनिर्मित कालीनों की घटती मांग नई-नई वेराइटीज में फैंसी व सस्ते आइट

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 05:46 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 05:46 PM (IST)
बाजार में बने रहना है तो करना होगा नया प्रयोग
बाजार में बने रहना है तो करना होगा नया प्रयोग

जासं, भदोही : महंगे हस्तनिर्मित कालीनों की घटती मांग, नई-नई वेराइटीज में फैंसी व सस्ते आइटम के प्रति आयातकों की बढ़ती रूचि के अनुसार कालीन निर्यातक उत्पादन करने लगे हैं। वाल हैंगिग के साथ- साथ कुशन, पूफ (बैठने के लिए) व हैंडबैग तैयार कर निर्यात किया जा रहा है। कालीन व दरी में उपयोग किए जाने वाले रा मैटेरियल से तैयार होने वाले नई वेराइटीज के फैंसी उत्पादों को अमेरिका, कनाडा, इटली, जापान सहित कई देशों के आयातक पंसद कर रहे हैं।

निर्यातकों का कहना है कि समय के साथ ग्राहकों की सोच में आ रहे बदलाव को देखते हुए परंपरा से हटकर उत्पादन कराना आवश्यक है। हालांकि नए प्रयोग में रिस्क है लेकिन निर्यातकों का मानना है कि विश्व बाजार में बने रहने के लिए जोखिम लेना पड़ता है। इससे एक तरफ जहां व्यवसाय की नई संभावना बढी है वहीं कामगारों को भी रोजी रोटी मिल रही है। भदोही में फिलहाल दो तीन प्रमुख कंपनियों द्वारा इस प्रकार के आइटम तैयार कराने के बाद विभिन्न देशों में निर्यात किया जा रहा है। निर्यातकों की मानें तो इसका परिणाम बहुत अच्छा है। कुछ ग्राहक इसे बेहद पंसद कर रहे हैं जो उद्योग के भविष्य के लिए शुभ संकेत है। दुनिया के लगभग 70 देशों में भदोही की कालीनों का निर्यात होता है। पूर्व में हस्तनिर्मित कालीनों को सर्वाधिक पसंद किया जाता था लेकिन बदलते परिवेश में लोगों की सोच में बदलाव हुआ है।

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किन देशों को किया जाता निर्यात

पूफ, कुशन, हैंडबैग सहित नई वेराइटीज के उत्पादों को अमेरिका, कनाडा, इटली, जापान काफी पसंद किया जाता है। कालीन व्यवसाय करने वाले आयातक नई वेराइटीज के उत्पादों को लेकर उत्साहित हैं। कालीन, दरी के साथ-साथ कई आयातकों द्वारा नए नए उत्पादों की डिमांड को देखते हुए निर्यातक इसे भविष्य के रूप में देख रहे हैं।

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ग्राहक की पसंद का ध्यान रखना जरूरी

प्रमुख कालीन निर्यातक इम्तियाज अंसारी का कहना है कि व्यवसाय के सिलसिले में विदेश भ्रमण के दौरान वाल हैंगिग, कुशन व पूफ के प्रति लोगों की रूचि देखकर इसके उत्पादन का विचार आया। पूफ व कुशन तो वर्ष 2012 से बना रहे हैं जबकि हैंडबैग का काम दो साल पहले प्रारंभ किया है। कालीन, दरी के साथ ग्राहक ऐसे उत्पादों को पसंद कर रहे हैं। बाजार में बने रहने के लिए ग्राहकों के अनुसार उत्पादन कराना आवश्यक है।

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