लैंगिग भेदभाव समाज व देश के विकास में बाधक
जासं भदोही लैंगिक असमानता के मुद्दे पर दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन एक व्यवसायिक प्र
जासं, भदोही : लैंगिक असमानता के मुद्दे पर दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान में वाटर एड इंडिया की ओर से समाज में महिलाओं की भागीदारी, उनके परिवार एवं देश के विकास में कितनी सहायक हो सकती है, इस विषय पर चर्चा की गई। जिला समन्वयक कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में श्रम शक्ति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 29 फीसद है, जबकि यह आंकड़ा 2004 में 35 फीसद था। भारत में महिलाओं द्वारा किए जाने वाला आधे से अधिक श्रम अवैतनिक हैं और लगभग पूरा श्रम अनौपचारिक और असुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ भेदभाव न किया जाए तो 2025 तक देश की जीडीपी में इजाफा हो सकता है। आईएमएफ के अनुमान के अनुसार देश की श्रम शक्ति में महिलाओं की समान भागीदारी से भारत की जीडीपी में 27 फीसद की वृद्धि हो सकती है। भारत की आधे से अधिक महिलाओं के पास फोन नहीं है और 80 फीसद इंटरनेट से नहीं जोड़ पाती हैं। कार्यशाला में नीतू सिंह, वंदना, रेनू सोनी, सुरेश कुमार यादव, श्यामधर, नायब आदि थे।