1.71 लाख नौनिहालों तक नहीं पहुंची निश्शुल्क पुस्तक

परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत 1.71 नौनिहालों को अभी तक निश्शुल्क पुस्तकों का वितरण नहीं हो सका है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:24 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:24 PM (IST)
1.71 लाख नौनिहालों तक नहीं पहुंची निश्शुल्क पुस्तक
1.71 लाख नौनिहालों तक नहीं पहुंची निश्शुल्क पुस्तक

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत 1.71 नौनिहालों को अभी तक निश्शुल्क पुस्तकों का वितरण नहीं हो सका है। जबकि नए शिक्षण सत्र का बीता चार माह का समय व्यतीत हो चुका है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते विद्यालय बंद चल रहे हैं तो पुस्तकों के अभाव में वह घर पर भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। बच्चे अगली कक्षा में प्रमोट हो चुके हैं लेकिन उनके लिए अभी पिछली कक्षा की पुस्तकें ही सहारा बनी हैं। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था व शिक्षण कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा होते दिख रहा है।

परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य की गुणवत्ता बढ़ाई जाय। टाइम टेबल तैयार बच्चों को पढ़ाया जाय तो शिक्षण कार्य में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इस तरह के तमाम दिशा निर्देश के साथ ही कोरोना संक्रमण के चलते बंद चल रहे स्कूल को देखते हुए आनलाइन शिक्षा व मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को शैक्षिक सपोर्ट देने का प्रयास चल रहा है। ऐसे समय में भी बच्चों के लिए सबसे जरूरी निश्शुल्क पुस्तकों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। स्थिति यह है अभी तक बच्चों को पुस्तक का वितरण नहीं किया जा सका है। आज भी बच्चे पिछली कक्षा की पुरानी पुस्तकों को ही पढ़ने को विवश हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजिमी है कि कैसे आएगी शिक्षण कार्य में गुणवत्ता।

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क्या बोले अभिभावक व बच्चे

- कक्षा छह में पहुंच चुका हूं। अभी तक पुस्तक नहीं मिल सका है। पिछले वर्ष मिले कक्षा पांच की पुस्तक ही पढ़ता हूं। नई पुस्तक मिलने के बाद पढ़ाई करूंगा।

उत्सव सिंह,

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- स्कूल से पुस्तक नहीं मिली है। कक्षा पांच में पढ़ती हूं। पहले जो कक्षा चार कि किताब मिली थी उसी से पढ़ाई करती हूं। नई पुस्तक मिल जाती तो आगे की पढ़ाई कर सकूंगी।

सृष्टि चौहान

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- परिषदीय स्कूलों में निश्शुल्क पुस्तक मिलती है। इसके चलते बाजार में भी परिषदीय स्कूल में चलने वाली पुस्तक नहीं बिकती। जहां से खरीदा जा सके। पुस्तक मिल जाती तो बच्चों की पढ़ाई चलती रहती।

चित्र 10-- अनिल कुमार सिंह

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- लगभग प्रत्येक वर्ष बच्चों को मिलने वाले निश्शुल्क पुस्तकों के वितरण में विलंब होता है। इस वर्ष भी नए शिक्षण सत्र का चार माह का समय बीत चुका है। पुस्तकें मिल जाती तो बच्चे घर पर ही पढ़ाई करते रहतें।

राजकुमार चौहान

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- बच्चों को वितरित करने के लिए शासन स्तर से पुस्तकें आ रही हैं। सत्यापन कराया जा रहा है। जल्द ही विद्यालयों में भेजकर बच्चों को वितरित कराया जाएगा। --कल्पनाथ मिश्र, जिला समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान।

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