बोले परिजन, पुलिस की थ्योरी में कई कमियां

प्रयागराज क्राइम ब्रांच पुलिस के अनुसार ठीकेदार के बच्चे के रणवीर सिंह के अपहरणकर्ता संजय यादव (25) ने मुठभेड़ में अपनी कनपटी पर खुद गोली मारी थी। जिससे उसकी मौत हो गई। लेकिन बुधवार को पोस्टमार्टम हाउस पर जुटे परिजनों से जब घटना के बाबत बातचीत की गई तो कुछ और बातें सामने आ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 12:34 AM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 06:19 AM (IST)
बोले परिजन, पुलिस की थ्योरी में कई कमियां
बोले परिजन, पुलिस की थ्योरी में कई कमियां

जासं, ज्ञानपुर (भदोही) : प्रयागराज क्राइम ब्रांच की थ्योरी कह रही है कि अपहरणकर्ता संजय यादव ने खुद को शूट किया है। उसने दाहिने तरफ कनपटी पर गोली मार ली। परिजनों ने पूरी घटना पर संदेह खड़ा कर दिया है। मृतक संजय के चाचा विजय यादव बुधवार को दोपहर 12 बजे ज्ञानपुर पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे तो पुलिस पर हमलावर हो गए। आरोप लगाया कि दाल में जरूर कुछ काला है। साजिशन उसके भतीजे संजय को पुलिस ने मुठभेड़ दिखाकर मारा है।

बता दें कि मृतक संजय ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के ठेकेदार अभिषेक सिंह के पांच वर्षीय पुत्र रणवीर सिंह को प्रयागराज से अगवा कर लिया था। उसे देर रात भदोही के सुरियावां थाना क्षेत्र के बसवांपुर स्थित खरगसेनपट्टी गांव में मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने मुक्त करा लिया। अपहरणकर्ता संजय ने खुद को गोली मार ली, उसकी जिला अस्पताल में मौत हो गई। बुधवार को पहुंचे मृतक के चाचा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके भतीजे की मौत की सूचना ही नहीं दी। वह अखबारों में पढ़कर यहां पहुंचे हैं। बताया कि वह अभिषेक के घर पर छह माह पहले तक वाहन चालक की नौकरी करता था। आरोप लगाया कि उसके भतीजे की साजिशन हत्या की गई है। अपहरण जैसी घटना को परिजनों ने सिरे से खारिज कर दिया। घटना की निष्पक्ष जांच के लिए उच्चाधिकारियों का दरवाजा खटखटाएंगे।

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पुलिस ने कई बार दी थी दबिश

- मृतक के चाचा ने आरोप लगाया कि संजय की तलाश में पुलिस कई बार उनके झूंसी के कटका स्थित घर पर दबिश दे चुकी है। मंगलवार की रात करीब आठ बजे वह फिर पहुंची थी, लेकिन वहां उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली। उसके बाद परिवार को संजय के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई।

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नौकरी छोड़ी तो करने लगा पुराने वाहनों की बिक्री

बकौल विजय, ठेकेदार अभिषेक सिंह के यहां नौकरी छोड़ने के बाद संजय ने पुराने वाहनों की खरीद और बिक्री शुरू कर दी थी। वह उसी धंधे में बहुत खुश था। संजय की शादी नहीं हुई थी। वह तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। दूसरे नंबर का भाई धनंजय जबकि तीसरा छोटू है। पिता दयाराम यादव लांग रूट पर ट्रक चलाते हैं। नौकरी छोड़ने के बाद भी संजय का आना-जाना ठेकेदार के घर पर होता था।

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पोस्टमार्टम के लिए नौ घंटे इंतजार

अपहरणकर्ता के पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सकों ने करीब नौ घंटे इंतजार किया। वह सुबह आठ बजे आ गए थे, लेकिन पोस्टमार्टम शाम पांच बजे शुरू हुआ। बाकी समय कागजी कोरम पूरा करने में लग गए।

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