वैश्विक अनिश्चितता के दौर में ईसीजीसी बनेगा वरदान

-------- जासं भदोही कोराना के कारण उपजे हालात में विदेशों को माल भेजने के बाद भुगतान

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 07:35 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 07:35 PM (IST)
वैश्विक अनिश्चितता के दौर में ईसीजीसी बनेगा वरदान
वैश्विक अनिश्चितता के दौर में ईसीजीसी बनेगा वरदान

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जासं, भदोही : कोराना के कारण उपजे हालात में विदेशों को माल भेजने के बाद भुगतान को लेकर अनिश्चितता का वातावरण बन गया है। कौन सी आयातक कंपनी कब डिफाल्टर हो जाएगी कुछ कहा नहीं जा सकता। कोरोना काल में जहां कई निर्यातकों के आर्डर कैंसिल हो गए थे वहीं कईयों का भुगतान फंसा हुआ है। ऐसे में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (ईसीजीसी) के माध्यम से निर्यात करना कालीन उद्यमियों के लिए वरदान साबित हो सकता है। समय समय पर इसीजीसी ने इसे साबित भी किया है बावजूद इसके महज 50 फीसद निर्यातक ही इसका लाभ उठा रहे हैं। जबकि ईसीजीसी वाराणसी शाखा वर्ष 1979 से सेवा प्रदान कर रहा है। भदोही-मीरजापुर कालीन परिक्षेत्र में निर्यातकों की संख्या करीब 600 है, लेकिन ईसीजीसी की पालिसी का लाभ महज 290 निर्यातक उठा रहे हैं। जो कि चिता का विषय है। इसे लेकर ईसीजीसी के अधिकारी भी चितित हैं। उनका कहना है कि 50 लाख से अधिक टर्नओवर वाले समस्त कारोबारियों को इसका लाभ उठाना चाहिए। ताकि भुगतान को लेकर कोई जोखिम न रहे।

बता दें कि ईसीजीसी, भारत सरकार का एक उद्यम है, जो वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत है। इसके माध्यम से निर्यातकों एवं वाणिज्यिक बैंकों को निर्यात ऋण बीमा प्रदान किया जाता है। ईसीजीसी मूल रूप से देश के निर्यात को प्रोत्साहन देने वाली संस्था है।

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ईसीजीसी का क्या है काम

- ईसीजीसी कालीन के हर ग्राहक का विश्लेषण करता है। भुगतान के जोखिम की रक्षा करता है। ईसीजीसी के पास विदेशी खरीददारों के लेन-देन की पूरी जानकारी रखता है। जिसके आधार पर वह निर्यातकों को माल भेजने या न भेजने की सलाह देता है। इसके अलावा जल्द से जल्द भुगतान कराने के लिए प्रयासरत रहता है। आयातक डिफाल्टर हो गया तो नियमानुसार इसका भुगतान ईसीजीसी द्वारा किया जाता है। ईसीजीसी की पालिसी के माध्यम से निर्यातको को निर्यात के लिए बैंको से ऋण प्राप्त करने में भी सुविधा होती है।

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निर्यातक हितों की रक्षा करना जिम्मेदारी

- ईसीजीसी के वाराणसी शाखा प्रबंधक मुरलीधर महतो का कहना है कि निर्यातक हितों की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। महामारी के दौरान ईसीजीसी निर्यातकों को क्रेडिट रिस्क की सुरक्षा देकर कालीन उद्योग को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बताया कि वैश्विक महामारी के चलते मध्यम एवं लघु वर्ग के उद्यमियों के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। वैश्विक अनिश्चितता के कारण भुगतान की समस्या बढ़ गई है। भारतीय हस्तिनिर्मित कालीनों के मुकाबले मशीनमेड सस्ते उत्पादों का प्रचलन बढ़ने से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण भारतीय निर्यातक अधिक दिन के उधार पर निर्यात करने को विवश हैं। ऐसे में भुगतान को लेकर जोखिम बना रहता है। इन हालात में ईसीजीसी की पालिसी निर्यातक हितों की रक्षा के लिए बेहद लाभकारी है।

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