शौचालय में डंप किया उपली, गिट्टी और बालू

--स्वच्छता मिशन - स्वच्छ शौचालय का नहीं किया जा रहा उपयोग ओडीएफ पर सवाल - करोड़ों रुपय

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:37 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 09:37 PM (IST)
शौचालय में डंप किया उपली, गिट्टी और बालू
शौचालय में डंप किया उपली, गिट्टी और बालू

--स्वच्छता मिशन

- स्वच्छ शौचालय का नहीं किया जा रहा उपयोग, ओडीएफ पर सवाल

- करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी खुले में शौच से मुक्त नहीं हो सके गांव

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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : केंद्र सरकार की मंशा है कि कोई भी परिवार खुले में शौच के लिए न जाए। सभी को स्वच्छ शौचालय देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन संचालित किया गया। 12000 रुपये के दर से अनुदान राशि भी बांटी गई। वर्ष 2012 से अब तक करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च कर शौचालय निर्माण के जरिए जिले के सभी 561 गांवों को खुले में शौचमुक्त भी घोषित करने का दावा भी किया जा रहा है। इसके बाद भी खुले में शौच से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। शौचालयों का उपयोग प्रसाधन के बजाय कहीं उपली, लकड़ी तो कहीं गिट्टी व बालू रखने के रूप में किया जा रहा है। इससे स्वच्छता मिशन के तमाम कवायद पर सवालिया निशान लग रहा है।

स्थिति यह है कि कहीं ध्वस्त पड़े शौचालय तो कहीं पटे गंदगी के अंबार से निष्प्रयोज्य पड़े शौचालय से उपयोग नहीं हो पा रहा है। उदाहरण के तौर पर औराई ब्लाक के जेठूपुर गांव में देखा जाय तो वनवासी बस्ती में एक दर्जन परिवारों को शौचालय बनवाया गया है लेकिन किसी में दरवाजा नहीं है तो कोई ध्वस्त हो चुका है। पूरी बस्ती के लोग आज भी खुले में है शौच जाने को मजबूर हैं। यही नजारा कठारी गांव के यादव व सरोज बस्ती में देखा जा सकता है। पूरे बस्ती में बने किसी शौचालय में उपली तो किसी में बालू, गिट्टी व अन्य निष्प्रयोज्य सामग्री को रखने के उपयोग में लाया जा रहा है। शौचालयों को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वच्छता मिशन की हकीकत क्या है।

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- समय-समय पर लाभार्थियों को शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। यदि कहीं शौचालय का निर्माण कार्य अधूरा है। काम नहीं पूरा कराया गया है और शिकायत मिलती है तो कार्रवाई होती है। लाभार्थियों को चाहिए की शौचालय का उपयोग करें।-- डॉ. सरोज पांडेय, जिला समंवयक, स्वच्छ भारत मिशन।

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