सब्सिडी की समयावधि समाप्त होने से बढ़ी निर्यातकों की धड़कन
जासं भदोही एक तरफ कोरोना काल में व्यवसाय धराशाई हो गया है तो दूसरी ओर सरकार क
जासं, भदोही : एक तरफ कोरोना काल में व्यवसाय धराशाई हो गया है तो दूसरी ओर सरकार की ओर से मिलने वाली राहत एक-एक कर समाप्त होती जा रही है। निर्यात पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि जहां न्यूनतम कर दी गई है वहीं अब ऋण पर मिलने वाला इंट्रेस्ट सबवेंशन भी ठप हो गया है। इस स्कीम की अवधि जुलाई 2020 में समाप्त हो गई थी लेकिन कोरोना काल के मद्देनजर सरकार ने 30 सितंबर तक विस्तार किया था। इसके तहत व्यवसायियों को ब्याज पर पांच फीसद सब्सिडी मिलती थी। स्कीम की अवधि समाप्त होने के बाद निर्यातकों की चिता बढ़ गई है जबकि औद्योगिक संगठन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) व अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) की ओर से गंभीरता का परिचय नहीं दिया जा रहा है। निर्यातकों का कहना है कि संगठनों को सरकार के सामने उद्योग की समस्या रखने की जरूरत है।
लघु उद्योगों, कृषि क्षेत्र, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बैंकों से लिए जाने वाले ऋण के ब्याज पर सब्सिडी देती है। इस क्रम में कालीन उद्यमियों को तीन से पांच फीसद तक ब्याज में छूट मिलती थी। स्कीम की अवधि 31 मार्च 2021 को समाप्त हो गई थी लेकिन सरकार ने कोरोना से उपजे हालात के मद्देनजर स्कीम का विस्तार करते हुए 30 सितंबर तक कर दिया था। इससे उद्यमियों को भारी राहत मिल गई थी। हालांकि निर्धारित समयावधि बीतने के बाद इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई जिसे लेकर उद्यमियों की चिता बढ़ गई है।
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वाणिज्य मंत्रालय को भेजा गया है पत्र
इस संबंध में अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) ने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय को पत्र भेजा है। मांग की गई है कि ब्याज पर मिलने वाली छूट संबंधी स्कीम को विस्तार दिया जाए। कालीन उद्योग में शत प्रतिशत कारोबारी बैंक से ऋण लेकर ही काम करते हैं। ऐसे में उनको सरकार की ओर से प्रोत्साहन की जरूरत है।
असलम महबूब, मानद सचिव (एकमा)