सरकारी ड्यूटी छोड़ प्राइवेट चिकित्सालय चला रहे चिकित्सक

स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए सरकार भले ही लाखों- करोड़ों पानी की तरह धन बहा दे लेकिन सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सक ड्यूटी कम प्राइवेट प्रैक्टिस अधिक करना पसंद करते हैं। आलम यह है कि ड्यूटी छोड़ सरकारी चिकित्सक बेधड़क प्राइवेट अस्पताल संचालित कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 09:26 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 09:26 PM (IST)
सरकारी ड्यूटी छोड़ प्राइवेट चिकित्सालय चला रहे चिकित्सक
सरकारी ड्यूटी छोड़ प्राइवेट चिकित्सालय चला रहे चिकित्सक

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए सरकार भले ही लाखों-करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सक ड्यूटी कम प्राइवेट प्रैक्टिस अधिक करना पसंद करते हैं। आलम यह है कि ड्यूटी छोड़ सरकारी चिकित्सक बेधड़क प्राइवेट अस्पताल संचालित कर रहे हैं। इलाहाबाद, मीरजापुर और वाराणसी में तैनात चिकित्सक अकेले गोपीगंज बाजार में एक दर्जन से अधिक चिकित्सालय संचालित करते हैं। जानते हुए भी अनजान बना महकमा जहमत नहीं उठना चाहता है।

शासन भले ही सरकारी चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर गंभीर हो, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी चिकित्सकों की बहुमंजिला चिकित्सालय चल रहा है। अकेले गोपीगंज में एक दर्जन से अधिक चिकित्सक हैं जिनकी तैनाती इलाहाबाद, मीरजापुर जनपद में है, लेकिन यहां पर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। गोपीगंज मीरजापुर तिराहा के पास संचालित एक क्लीनिक में मीरजापुर में तैनात सरकारी चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते थे। छापेमारी कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है। इसके बाद भी अब भी सरकारी चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस से बाज नहीं आ रहे हैं। गोपीगंज नगर में सरकारी चिकित्सकों के संचालित अस्पतालों की बात तो एक बानगी भर है। इसके अलावा जिले में बड़े पैमाने पर सरकारी चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस बेधड़क कर रहे हैं। अधिसंख्य चिकित्सक तो अस्पताल परिसर में स्थित आवास में ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं। फार्मासिस्ट एक मेडिकल स्टोर अनेक

स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की मेहरबानी इस कदर है कि एक ही फार्मासिस्ट कई मेडिकल दुकान संचालित कर रहे हैं। नियमानुसार बगैर फार्मासिस्ट के बगैर दवा बेचने के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाता है। विभागीय सूत्रों कहना है कि विभागीय अधिकारियों और दवा विक्रेताओं के तालमेल से एक ही फार्मासिस्ट द्वारा कई मेडिकल स्टोर संचालित कराया जा रहा है। जांच हुई तो मामला स्वत: स्पष्ट हो जाएगी। मिलता है नान प्रैक्टिस एलाउंस : सीएमओ

इस संबंध में सीएमओ डा. लक्ष्मी सिंह का कहना है कि सरकारी चिकित्सकों को नान प्रैक्टिस एलाउंस दिया जाता है। ऐसे प्राइवेट प्रैक्टिस सरकारी डाक्टरों के खिलाफ कोई शिकायत मिलती है तो उनके खिलाफ जांच कराने के बाद यदि दोषी मिले तो कार्रवाई की जाएगी।

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