मरीज देखने से कतराये डॉक्टर, ठंडी पड़ी व्यवस्था

दिन मंगलवार समय सुबह 10.30 बजे। स्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौरी रोड। चिकित्सा अधीक्षक का कार्यालय खुला था लेकिन कुर्सी खाली। पता चला कि साहब सम्पूर्ण समाधान दिवस में भाग लेने गए हैं। महिला चिकित्सकों के साथ साथ कई पुरुष चिकित्सक भी नदारद। चिकित्सकों के केबिन में रोगी बैठे इंतजार करते रहे थे। यह हाल है धरती के भगवानों का। वह भी तब जबकि स्वयं मुख्यमंत्री राजकीय अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा को लेकर गंभीर हैं। सुबह आठ बजे तक चिकित्सकों को अपने अपने केबिन में बैठ जाना चाहिए लेकिन 10.30 बजे के पहले चिकित्सक अस्पताल पहुंचने में नाकाम साबित हो रहे हैं। यह एक बानगी है राजकीय अस्पताल के चिकित्सकों के लेटलतीफी की। ग्रामीण अंचलों स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत तो और भी बदतर है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Dec 2019 05:58 PM (IST) Updated:Tue, 17 Dec 2019 05:58 PM (IST)
मरीज देखने से कतराये डॉक्टर, ठंडी पड़ी व्यवस्था
मरीज देखने से कतराये डॉक्टर, ठंडी पड़ी व्यवस्था

जासं, भदोही : मंगलवार को सुबह 10.30 बजे तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौरी रोड पर व्यवस्थाएं ठंडी पड़ी थी। यहां पर चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय खुला था लेकिन कुर्सी खाली दिखी। पूछताछ पर पता चला कि डॉक्टर साहब, संपूर्ण समाधान दिवस में गये हैं। महिला चिकित्सकों के साथ कई पुरुष चिकित्सक भी नदारद हैं। चिकित्सकों के केबिन में रोगी बैठे इंतजार करते रहे। यह हाल है धरती के भगवानों का है, वह जबकि स्वयं मुख्यमंत्री राजकीय अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा को लेकर गंभीर हैं। सुबह आठ बजे तक चिकित्सकों को अपने केबिन में बैठने की नसीहत दे रहे हैं।

यहां 10.30 बजे के पहले चिकित्सक अस्पताल पहुंचने में नाकाम साबित हो रहे हैं। यह एक बानगी है राजकीय अस्पताल के चिकित्सकों के लेटलतीफी की। ग्रामीण अंचलों स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत तो और भी बदतर है। मुख्यमंत्री का आदेश है कि प्रशासनिक अधिकारी नौ बजे व चिकित्सक आठ बजे तक अपने केबिन में बैठ जाएं। ताकि दूर दराज से आने वाले रोगियों को समय से स्वास्थ्य सेवा की जा सके। मंगलवार को अस्पताल के चिकित्सकों की उपस्थिति की हकीकत परखने के बाद साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री के आदेश का कोई प्रभाव नहीं है। समय से अस्पताल पहुंचना व रोगियों की स्वास्थ्य सेवा करने को लेकर चिकित्सक गंभीर नहीं हैं। डा. रामअचल सरोज, डा, नाजिम अली, डा. भूमिका जायसवाल, डा. नीलेश जायसवाल, डा. श्वेता यादव अपने अपने केबिन में पहुंच गए थे। उधर डा. समीर उपाध्याय के केबिन महिला रोगी सुबह 10 बजे से बैठी थी लेकिन उनका 10.40 बजे तक अता पता नहीं था।

महबूबपुर से बच्चे को दिखाने आई महिला रजवंती देवी ने बताया कि वह साढ़े नौ बजे से बैठी है जबकि अभयनपुर निवासी रमेश यादव भी दस बजे से चिकित्सक के केबिन के बाहर बैठे थे। रोगियों ने बताया कि लेटलतीफी चिकित्सकों के लिए आम बात है।

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