पुस्तकों पर 'डिजिटल' वार, कैसे करें प्यार

पुस्तकों पर 'डिजिटल' वार, कैसे करें प्यार जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बदलते दौर ने पुस्तको

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 07:00 AM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 07:00 AM (IST)
पुस्तकों पर 'डिजिटल' वार, कैसे करें प्यार
पुस्तकों पर 'डिजिटल' वार, कैसे करें प्यार

पुस्तकों पर 'डिजिटल' वार, कैसे करें प्यार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बदलते दौर ने पुस्तकों के प्रति लोगों की ललक को कम कर दिया है। पुस्तकों के पन्ने पलटने का वक्त जैसे नई पीढ़ी के पास नहीं रहा। उसका वक्त कंप्यूटर के बटन की खटर-पटर में बीत रहा है। इसका परिणाम है कि लाइब्रेरियों में पुस्तकों का अभाव होता जा रहा है। जिन लाइब्रेरियों में पुस्तकें हैं तो वहां अब 'पढ़ाकू' नहीं दिखते। कुछ लाइब्रेरियां तो दशकों से बंद पड़ी हैं।

बात करते हैं काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पुस्तकालय की। यहां तो पुस्तकें दीमक व चूहों का ग्रास बन रही हैं। करीब एक दशक से अधिक समय से बंद पड़े लगभग एक लाख पुस्तकों की क्षमता वाले पुस्तकालय भवन को संचालित कराने की ठोस पहल होते कभी नहीं देखी गई।

आजादी के बाद उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 1951 में स्थापित काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर विद्यालय ज्ञानपुर को पूरे प्रदेश में आदर्श महाविद्यालय के ²ष्टि से देखा जाता था। महाविद्यालय में कुल मौजूदा समय में कुल 22 विषयों में (19 पोस्ट ग्रेजुएट व तीन विषयों में डिग्री कोर्स) की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही वर्तमान समय में जहां कृषि संकाय संचालित करने की योजना के तहत कृषि संकाय का निर्माण कार्य प्रगति पर है तो शारीरिक शिक्षा विषय की मान्यता शीघ्र ही मिलने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी यहां स्थापित पुस्तकालय का हाल देखा जाय तो लगता है कि कहीं न कहीं यह महाविद्यालय शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार नजर आता है। करीब एक लाख पुस्तकों से सुसज्जित पुस्तकालय में एक दशक से अधिक समय से ताला लटका हुआ है। महाविद्यालय में अध्ययनरत आठ हजार से अधिक विद्यार्थियों को उनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बल्कि उन्हें दीमक व चूहे कुतरते जा रहे हैं। इसके पीछे कारण है तो सिर्फ यह कि न तो किसी लाइब्रेरियन की तैनाती की जा रही है न ही पुस्तकों की देख-रेख के लिए कर्मचारियों की। जबकि पुस्तकालय के लिए एक लाइब्रेरियन, दो सहायकों सहित दर्जन भर से अधिक कर्मचारियों की तैनाती के लिए पद सृजित किए गए हैं। ऐसा नहीं है कि पुस्तकालय खोलवाने के लिए प्रयास न किये गए हों। समय-समय पर छात्र-छात्राओं द्वारा जहां धरना-प्रदर्शन व अनशन किए गए तो महाविद्यालय प्रशासन की ओर से मामले से संबंधित उच्चाधिकारियों व जन प्रतिनिधियों को अवगत भी कराया गया लेकिन विडंबना यह है कि आज तक कोई ऐसी ठोस पहल नहीं हो सकी की जिससे पुस्तकालय को खोला व संचालित किया जा सके और वहां मौजूद ज्ञान के भंडार का लाभ विद्यार्थियों को मिल सके।

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जर्जर हो रहा पुस्तकालय भवन

- कानरा महाविद्यालय के जिस ऐतिहासिक खुर्शीद भवन में पुस्तकालय स्थापित किया गया है उसकी भी दशा जर्जर होती जा रही है। कई स्थानों से तो अंदर पानी भी पहुंच जा रहा है। इससे पुस्तकों के अंदर ही अंदर भीगकर सड़ने की बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। जर्जर होते भवन के चलते ही उसके उपरी मंजिल पर संचालित होने वाली कक्षाओं को बंद कराया जा चुका है।

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पुस्तकालय संचालित करने के लिए न तो लाइब्रेरियन की तैनाती है न ही एक भी कर्मचारी की। ऐसे में पुस्तकालय नहीं खुल पा रहा है। महाविद्यालय से लाइब्रेरियन व अन्य कर्मचारियों की तैनाती के लिए कई बार प्रस्ताव शासन व उच्चाधिकारियों को भेजा जा चुका है।

- डा. पीएन डोंगरे, प्राचार्य : काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय।

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