ऋषि नारद के तप से डोला भगवान इंद्र का सिंहासन
जासं भदोही कालीन नगरी भदोही की ऐतिहासिक रामलीला सोमवार की देर शाम शुरू हो गई। हवन पूजन के बाद मर्यादपट्टी स्थित रामलीला मैदान में पालिकाध्यक्ष अशोक जायसवाल सहित समिति के समस्त पदाधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर रामलीला का शुभारंभ किया। अयोध्या से आए कलाकारों ने नारद मोह प्रसंग का मंचन किया।
जासं, भदोही : कालीन नगरी भदोही की ऐतिहासिक रामलीला सोमवार की देर शाम शुरू हो गई। हवन पूजन के बाद मर्यादपट्टी स्थित रामलीला मैदान में पालिकाध्यक्ष अशोक जायसवाल सहित समिति के समस्त पदाधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर रामलीला का शुभारंभ किया। अयोध्या से आए कलाकारों ने नारद मोह प्रसंग का मंचन किया।
ऋषि नारद के तप से भगवान इंद्र का सिंहासन डोलने लगता है। तब भगवान इंद्र अपने दूत कालादेव को बुला कर कारण का पता लगाने के लिए कहते हैं। काला देव ने आकर बताया कि नारद मुनि के तप से आपका सिंहासन डोल रहा है। भगवान इंद्र यह सुनकर घबरा जाते हैं। वह नारद की तपस्या को भंग करने के लिए काला देव को अप्सराओं के साथ भेजते हैं लेकिन कोई भी नारद की तपस्या को भंग नही कर पाता। तब नारद मुनि को अभिमान हो जाता है कि हमने काम पर विजय प्राप्त कर लिया। यह बात उन्होंने जाकर ब्रह्मा जी, शंकर जी तथा विष्णु को बताया। भगवान विष्णु ने नारद मुनि की परीक्षा लेने के लिए अपनी योग भाषा से विश्वमोहिनी के स्वयंवर की रचना की। श्रीनगर का राज्य बसाया तथा वहां का राजा शिलनिधि को बनाया। शिलनिधि की बेटी विश्वमोहिनी थी। नारद जी टहलते टहलते श्रीनगर राज्य पहुंच जाते हैं। देखते है कि यह राज्य काफी सजाया गया है। लोगों से पूछने पर उन्हें विश्वमोहिनी के स्वयंवर की बात पता चलती है। तब नारद जी राज्य के राजा से मिलने वहा पहुंचते हैं। नारद जी को देख कर राजा शिलनिधि अपनी बेटी का हाथ देखने के लिए कहते हैं। नारद मुनि जैसे ही विश्वमोहिनी को देखते है उस पर वह मोहित हो जाते है। इस मौके पर विनीत बरनवाल, राकेश दुबे, घनश्याम गुप्ता, सतीश गांधी, विनय उमरवैश्य, महेंद्र बिद, अरविद मौर्य, रविन्द्र दुबे, करुणा शंकर दुबे, राजीव चौरसिया व अन्य थे।