मोक्षदायिनी के तट पर कुएं में विराजमान हैं देवाधिदेव महादेव

---------- जागरण संवाददाता ऊंज (भदोही) काशी-प्रयाग के मध्य पतित-पावनी गंगा की गोंद में स्थित

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 10:41 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:09 AM (IST)
मोक्षदायिनी के तट पर कुएं में विराजमान हैं देवाधिदेव महादेव
मोक्षदायिनी के तट पर कुएं में विराजमान हैं देवाधिदेव महादेव

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जागरण संवाददाता, ऊंज (भदोही) : काशी-प्रयाग के मध्य पतित-पावनी गंगा की गोंद में स्थित सेमराधनाथ धाम में देवों के देव महादेव गहरे कुएं में विराजनान है। बाबा सेमराधनाथ धाम के इतिहास को लेकर विद्वानों का अलग- अलग मत है। कुछ विद्वान बताते हैं कि डेढ़ सौ साल पहले एक दिन एक व्यापारी नाव पर माल लादकर मीरजापुर की ओर से तत्कालीन बनारस जिले में आ रहा था। बीच धारा में पहुंचते ही नाव फंस गई और नाव टस से मस नही हो रही थी।

इस रात वह यहीं ठहर गया। भोलेनाथ के दर्शन के बाद व्यापारी ने शिवलिग की स्थापना कराई। जबकि अधिसंख्य विद्वान इसे पांडवकालीन बताते हैं। उनका दावा है कि जब लाक्षागृह से किसी तरह बचकर निकलने के बाद पांडव गंगा किनारे-किनारे इस स्थान पर पहुंचे, तो यहां रक्षा के लिए युधिष्ठिर ने शिवलिग की स्थापना की। बाद में समय बीतने के साथ ही गंगा के प्रवाह मार्ग में परिवर्तन के साथ ही शिवलिग नदी की धारा में समा गया। बाबा सेमराधनाथ से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

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चित्र.22. कलिकाल में भागवत कथा कल्पवृक्ष जैसी मंगलकारी

जासं, गोपीगंज (भदोही) : तिलंगा गांव में स्थित बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर परिसर में आयोजित कथा में रविवार को राकेश जी महाराज ने कहा कि कलिकाल में भागवत कथा कल्पवृक्ष जैसी मंगलकारी है। व्यक्ति इसकी छत्रछाया में बैठकर जहां आध्यात्मिक उन्नति करता है तो वहीं सांसारिक बंधन और क्लेशों से उसको छुटकारा मिल जाता है। भागवत कथा में जीवन का सार है। जहां आचरण, चुनौतियों से मुकाबला और विषम परिस्थितियों में भी सत्य के पथ पर चलते रहने का तरीका सीखने का अवसर मिलता है। अनियमित दिनचर्या के चलते मानव मन पर कुप्रभाव देखे जा सकते हैं। इससे बचने के लिए प्रतिदिन मनुष्य को सत्संग अवश्य करना चाहिए।

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