राजस्व अभिलेखों से गायब है जिले का सबसे बड़ा गांव डीघ
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) जिले का एक ऐसा गांव है जो राजस्व अभिलेखों से गायब है। यह
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जिले का एक ऐसा गांव है जो राजस्व अभिलेखों से गायब है। यह जानकार आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे लेकिन शत प्रतिशत सही है। तहसील ज्ञानपुर क्षेत्र के सबसे बड़ा गांव डीघ इस समय राजस्व अभिलेख दर्ज नहीं है। यहां के किसानों को खतौनी तक नहीं मिलती है। 26 साल से चकबंदी और तहसील में चक्कर काट रहे हैं। दो हजार से अधिक किसानों को न तो किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है और न किसान क्रेडिट ही बनवा पा रहे हैं। जिम्मेदार प्रतिनिधि और अधिकारी भी उदासीन बने हुए हैं।
जिले में सर्व प्रथम चकबंदी प्रक्रिया 1962 में शुरू की गई थी। तीस वर्ष बाद भी डीघ गांव में चकबंदी प्रकिया पूर्ण नहीं हो सकी। काश्तकारों के विरोध के चलते चकबंदी विभाग ने पूरा राजस्व तहसील को वापस कर दिया। हकीकत यह है कि जब काश्तकार तहसील में जाते हैं तब उन्हें खतौनी नहीं मिलती है। कहा जाता है कि उनका कोई अभिलेख तहसील में नहीं है। यदि है भी तो जीर्ण-शीर्ण की अवस्था में हैं। तहसील में अभिलेख उपलब्ध न होने के कारण शासन की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल किसान सम्मान निधि और किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है। गांव के अजय सिंह चौहान का कहना है कि 40 साल से राजस्व अभिलेख के लिए चकबंदी विभाग और तहसील चक्कर काट रहे हैं। इस समस्या को लेकर अभी तक किसी प्रतिनिधि ने आवाज नहीं उठायी। दो हजार किसान अपने अभिलेख के लिए परेशान हैं।
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कितना है डीघ का क्षेत्रफल : ज्ञानपुर तहसील के डीघ गांव में दूसरे चरण में 1984 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस गांव का क्षेत्रफल सात हजार छह सौ 72 एकड़ कृषि योग्य जबकि 367 एकड़ भूमि ग्राम समाज है। चकबंदी न होने से काश्तकारों को सरकारी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। यही नहीं चकबंदी पूर्ण न होने से किसानों को क्रेडिट कार्ड भी नहीं बन पाते हैं।
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डीघ गांव के किसानों के अभिलेख नहीं मिल पाते हैं। वह कभी चकबंदी तो कभी तहसील में चक्कर काट रहे हैं। अधिकारी सुनने वाले नहीं हैं। चेताया कि शीघ्र ही विभागीय अधिकारी इस पर विचार नहीं करते है तो उच्चाधिकारियों से मिलकर इसकी शिकायत की जाएगी।
गंगाधर यादव, ग्राम प्रधान डीघ।