बाल संरक्षण केंद्र के प्रस्ताव को नहीं मिली स्वीकृति

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) वैश्विक महामारी के रूप में सामने आए कोरोना वायरस संक्र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:08 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:08 PM (IST)
बाल संरक्षण केंद्र के प्रस्ताव को नहीं मिली स्वीकृति
बाल संरक्षण केंद्र के प्रस्ताव को नहीं मिली स्वीकृति

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : वैश्विक महामारी के रूप में सामने आए कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मां-पिता व अभिभावक को खो चुके बच्चों को सुरक्षित ठिकाना मिले। इसके लिए बालगृह में शरण देने की शासन ने घोषणा की है। जबकि जिले में एक भी बाल संरक्षण गृह नहीं हैं। स्थापना के लिए भेजे गए प्रस्ताव को भी आज जक स्वीकृति नहीं मिल सकी है। ऐसे में बच्चों को शरण मिलने की राह आसान नहीं दिख रही है। अब तक किसी भी कारण से निराश्रित व भूले-भटके मिलने वाले बच्चों को बाल संप्रेक्षण गृह मीरजापुर में शरण मिलती है।

शासन ने कोरोना संक्रमण से निराश्रित हुए बच्चों के भरण-पोषण से लेकर पढ़ाई-लिखाई व बालिकाओं से शादी तक में कोई अड़चन न आने पाए इसकी चिता की है। इसके लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरूआत कर दी है। इसमें व्यवस्था दी गई है कि यदि किसी कारणवश बच्चों के परिवार में कोई नहीं हैं, या फिर कोई उन्हें अपने साथ नहीं रख रहा है तो उनका पालन पोषण बालगृह में किया जाएगा। अब देखा जाय तो जिले की स्थापना हुए ढाई दशक का समय व्यतीत हो चुका है लेकिन बेसहारा मिलने वाले बच्चों को रखने के लिए आज तक कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है।

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बाल संरक्षण आयोग ने मांगा था प्रस्ताव

- बाल संरक्षण आयोग के तत्कालीन सदस्य योगेश दुबे के कार्यकाल जिले में बाल संरक्षण गृह की स्थापना के लिए प्रस्ताव मांगा गया था। जिले से इसकी स्थापना के लिए कलेक्ट्रेट के पास तीन बीघे भूमि की व्यवस्था कर प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी। माना जा रहा है कि प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई होती और बाल गृह बन गया होता तो कोरोना संक्रमण के इस दौर में बच्चों को सहूलियत मिल जाती।

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30 बच्चों को मिला है स्वीकृति प्रमाण पत्र

- जिले में 78 ऐसे बच्चे चिह्नित किए गए हैं जिनके माता या पिता की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। इनमें से तीन बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता दोनों की मौत हो चुकी है। सभी बच्चे अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रह रहे हैं। सरकारी सहायता के नाम पर इनमें से 13 परिवारों को 30 बच्चों को अभी प्रति माह भरण-पोषण के लिए चार हजार रुपये की दर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने को स्वीकृति प्रमाण पत्र ही मिल सका है।

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