खाड़ी देशों में बनाएंगे कालीन की पैठ

जागरण संवाददाता भदोही ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाद अब खाड़ी सहयोगी देशों में कालीन

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Oct 2020 06:45 PM (IST) Updated:Sat, 03 Oct 2020 11:14 PM (IST)
खाड़ी देशों में बनाएंगे कालीन की पैठ
खाड़ी देशों में बनाएंगे कालीन की पैठ

जागरण संवाददाता, भदोही : ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाद अब खाड़ी सहयोगी देशों में कालीन की चमक बिखेरने की तैयारी है। वैसे यहां पर भारतीय कालीन की डिमांड पहले से अधिक है, इसलिये लॉकडाउन से प्रभावित व्यापार को दोबारा पटरी पर लाने की पूरी कोशिश नवंबर में होगी। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने नवंबर में दुबई, कतर, यूएई, ओमान और शारजाह समेत छह देशों के साथ वर्चुअल कारपेट फेयर करने की योजना बनाई है। पूरा खाका अभी खींचना बाकी है, फिर भी निर्यातक खाड़ी देशों की कला व संस्कृति से जुड़ी डिजाइन को कालीनों में उकेरने की तैयारी शुरू कर दिए हैं। चूंकि फेयर अगले महीने ही है, इसलिये कारोबार के नजरिये से इसे बेहद अहम माना जा रहा है। बता दें कि अभी तक सीईपीसी की ओर से हुए दो वर्चुअल फेयर काफी सफल रहे हैं। सउदी अरब को बहुत लुभाता है भारतीय कालीन

निर्यातकों की मानें तो खाड़ी देशों में कालीन का सर्वाधिक प्रचलन है। हर, प्रतिष्ठान व धार्मिक स्थलों पर भी कालीन बिछाई जाती है। सउदी अरब में शेख भारतीय कालीनों के दीवाने हैं। दुबई, कतर, शारजाह में बड़ी संख्या में कालीन व्यवसायी हैं जो भारतीय उत्पादों को पसंद करते हैं। सीईपीसी ने तीसरे फेयर के लिये खाड़ी सहयोगी देशों को ही चुना है। कालीन निर्यातक ब्रिजेश गुप्ता का कहना है कि इन दिनों मंदी का असर है। फेयर के आयोजन से उद्योग को लाभ मिलेगा। लोअर क्वालिटी के हैंडलूम उत्पादों की मांग अधिक रहती है। माडर्न फूल पत्ती वाले कालीन भी खूब पंसद किए जाते हैं।

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कालीन व्यवसाय के लिए खाड़ी सबसे बेहतर विकल्प है। वहां अन्य देशों की अपेक्षा मांग अधिक है। उनसे हमारे बेहतर संबंधों को देखते हुए वर्चुअल फेयर को सफलता मिलना तय है।

चित्र 14 -- राजेंद्र कुमार मिश्रा, निर्यातक

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खाड़ी देशों के लिए विशेष आयोजन करने के लिये परिषद की योजना कारगर साबित हो सकती है। खाड़ी देशों से पहले भी बेहतर व्यवसाय होता था।

चित्र 15 --- परवेज हसन, निर्यातक --------------------

खाड़ी देशों में कालीन की उपयोगिता को देखते हुए सीईपीसी ने सही समय, बेहतर कदम उठाया है। खाड़ी के कुछ देशों में पहले से ही व्यवसाय होता है जबकि कुछ देशों में नए बाजार की तलाश की जा सकती है।

चित्र 16 --- अलसम महबूब, मानद सचिव, अखिल भारतीय कालीन निर्यातक संघ

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