कोरोना ----कोरोना से रद हो सकता है करोड़ों का आर्डर

कोरोना वायरस के कारण पहले से ही भारी क्षति उठा चुके निर्यातकों के सामने आर्डर रद होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। अमेरिका योरोप सहित प्रमुख आयातक देशों में उक्त महामारी ने पांव पसार दिया है। करोडों के माल बंदरगाहों पर डंप पड़े हैं तो नए आर्डर मिलने की दूर दूर तक उम्मीद नहीं दिखाई पड़ रही है। ऐसे में पुराने आर्डर न रद हों इसे लेकर लोगों की चिता बढ़ गई है। हालात को देखते हुए इसकी आशंका जताई जा रही है। ऐसा हुआ तो न सिर्फ निर्यातकों के सामने गंभीर संकट उत्पन्न होगा बल्कि कालीन उद्योग भी बैठ जाएगा। वरिष्ठ कालीन निर्यातकों का कहना है कि फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Mar 2020 07:26 PM (IST) Updated:Tue, 17 Mar 2020 07:26 PM (IST)
कोरोना ----कोरोना से रद हो सकता है करोड़ों का आर्डर
कोरोना ----कोरोना से रद हो सकता है करोड़ों का आर्डर

जागरण संवाददाता, भदोही : महामारी घोषित हो चुकी कोरोना की चपेट में भदोही का कालीन भी आ चुका है। करोड़ों के कालीन का आर्डर रद होने की संभावना गहराने लगी है। निर्यातकों की नींद उड़ी है। समस्या बढ़ती जा रही है। वैसे ही मुश्किल में फंसा यह कारोबार और उलझता दिखाई पड़ रहा है। कारण कि अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में कालीन निर्यात होता है, वहीं पर यह वायरस बहुतों को अपनी चपेट में ले चुका है।

उधर बंदरगाहों में करोड़ों का कालीन डंप पड़ा है। महीनों से निर्यातकों को नए आर्डर नहीं मिले हैं। पुराने आर्डर रद होंगे, यह आशंका निर्यातकों को परेशानी में डाल रही हैं। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो बंदरगाहों में डंप कालीन वापस भदोही मंगाने पड़ेंगे। कालीन निर्यातकों में अनिश्चितता की स्थिति है। बता दें कि वायरस ने विश्व के 114 देशों को जद में लिया है, इसमें कई देश कालीन निर्यातक हैं। माल की डिलीवरी न होने से पेमेंट भी नहीं हो रहा है।

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भारत से होने वाले कालीन निर्यात में अमेरिका की भागीदारी 50 फीसद है जबकि 30 फीसद यूरोपीय देशों व शेष 20 फीसद अन्य देशों में कालीनों का निर्यात होता है। यूरोपीय देशों से व्यापारिक संबंध बंद है जबकि अमेरिका से होने वाले व्यापार पर अधिक प्रभाव नहीं है।

पीयूष बरनवाल, पूर्व मानद सचिव, एकमा

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कोरोना का कालीन व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। अनिश्चितता की स्थिति है। जिस तरह से आयातक देशों में हाहाकार की स्थिति है। आर्डर रद होने की आशंका है। ऐसा हुआ तो कालीन उद्योग को भारी क्षति पहुंचेगी।

रवि पाटोदिया पूर्व एकमाध्यक्ष

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कालीन मेलों के स्थगित होने से कालीन उद्योग को पहले ही बड़ा नुकसान हो चुका है। व्यक्तिगत रूप से होने वाला व्यवसाय भी लगभग ठप हो गया है। माल बंदरगाहों व गोदामों में डंप हैं। ग्राहक के हाथ में माल नहीं पहुंचता तब तक निर्यातक चैन की सांस नहीं ले सकते।

शाहिद हुसैन अंसारी, मानद सचिव एकमा

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कोरोना वायरस की काली आंधी में कालीन व्यवसाय को झकझोर दिया है। प्रमुख आयातक देशों से व्यापारिक संबंध महज वेबसाइट तक सीमित रह गए हैं। उड़ाने रद होने व प्रतिबंध के कारण व्यापारिक यात्रा ठप है। जल्द ही हालात साजगार नहीं हुए पुराने आर्डर पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। पहले से भेजे गए माल भी ग्राहकों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

उमेश कुमार गुप्ता, मुन्ना वरिष्ठ प्रशासनिक सदस्य सीईपीसी

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