कालीन नगरी कर रहा जिम्मेदारों से कटीला सवाल

तीस जून 2020 को भदोही जिला बिल्कुल जवान हो जाएगा। 26 साल की हुई कालीन नगरी जन प्रतिनिधियों और ओहदेदारों से कंटीला सवाल कर रही है। आलम यह है कि रोजगार की तलाश में जहां डेढ़ लाख बेरोजगार युवा इधर-उधर भटक रहे हैं तो कालीन में रंग भर देने वाले बुनकर घुट-घुट कर जी रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Jun 2020 08:51 PM (IST) Updated:Tue, 30 Jun 2020 06:00 AM (IST)
कालीन नगरी कर रहा जिम्मेदारों से कटीला सवाल
कालीन नगरी कर रहा जिम्मेदारों से कटीला सवाल

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : तीस जून 2020 को भदोही जिला बिल्कुल जवान हो जाएगा। 26 साल की हुई कालीन नगरी जन प्रतिनिधियों और ओहदेदारों से कंटीला सवाल कर रही है। आलम यह है कि रोजगार की तलाश में जहां डेढ़ लाख बेरोजगार युवा इधर-उधर भटक रहे हैं तो कालीन में रंग भर देने वाले बुनकर घुट-घुट कर जी रहे हैं। करोड़ों की परियोजनाएं दशकों बाद भी पूर्ण नहीं हो सकीं तो वहीं शिक्षा और चिकित्सा को लेकर जिले के लोगों को भटकना पड़ रहा है।

इन सबके बावजूद कई ऐसे गंभीर सवाल हैं जो शासन-प्रशासन के सामने मुंह बाए उत्तर की बेसब्री से इंतजार है।

कालीन उद्योग की जान के दुश्मन बने बिजली संकट को काबू कब किया जाएगा? कहां तो इस कालीन उद्योग प्रक्षेत्र को बाकायदा अबाध कमर्शियल बिजली मिलनी चाहिए लेकिन यहां तो इसके सामान्य दर्शन भी दुर्लभ हो चुके हैं। गरीबी-रेखा के नीचे लुढ़के पड़े कालीन बुनकरों की जिदगी समस्या-असुविधाओं की पर्याय बनी हुई है जिस कारण संबंधित परिवारों में नई पीढ़ी में से कोई इस पेशे में आने को तैयार नहीं। बेरोजगारी इस कदर है कि लोग रोजगार तलाशने के लिए महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। डेढ़ लाख बेरोजगार भटक रहे हैं। कालीन नगरी भदोही में दशकों बाद भी उद्योग स्थापित नहीं किए जा सके। उच्च शिक्षा और चिकित्सा के अभाव में जिले की सोलह लाख लोग जिम्मेदार प्रतिनिधियों से कंटीले सवाल कर रहे हैं।

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सीतामढ़ी को नहीं मिला पर्यटन का दर्जा

काशी-प्रयाग के मध्यम स्थित लव कुमारों की जन्म स्थली सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी में दर्शन-पूजन करने के लिए प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में देशी-विदेशी मेहमान आते हैं लेकिन दशकों बाद भी पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है। गंगा घाट को अत्याधुनिक बनाने का सपना भी चकनाचूर हो गया। चुनाव आते ही वादे होते हैं लेकिन सत्ता की चाबी मिलते ही वह भूल जाते हैं।

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डेढ़ लाख युवा बेरोजगार

जिले में उद्योग स्थापित न होने से करीब डेढ़ लाख युवा बेरोजगार हो चुके हैं। बेरोजगारी दूर करने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं किया जा सका है। बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हैं। इसको लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधि भी गंभीर होते नहीं दिख रहे हैं।

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करोड़ों की स्वास्थ्य परियोजनाएं अधर में

जिले में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिया जा रहा है लेकिन जनपद के लोगों को अन्य जनपदों में इलाज के लिए जाना होता है। 12 साल से जिला अस्पताल का निर्माण कराया जा रहा है। नौ करोड़ रुपये का घोटाला कर लिया गया है। यही नहीं अभोली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लाखों रुपये लेकर संस्था फरार हो गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। चिकित्सकों की कमी के साथ ही साथ आपरेशन आदि की कोई व्यवस्था नहीं है।

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शिक्षा व्यवथा में नहीं आया सुधार

उच्च शिक्षा के साथ ही साथ तकनीकी शिक्षा के लिए जनपद के युवाओं को दूसरे जिले में जाना होता है। काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय ज्ञानपुर को अभी तक विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिया जा सका है जबकि इसके साथ बना नैनीताल महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बना दिया गया है। प्राविधिक शिक्षा के लिए युवाओं को भटकना पड़ रहा है।

जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि जिले में कई विकास कार्य इस साल कराएं गए है। कुछ काम चल रहा है जो जल्द ही पूरा कर हो जाएगा।

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