कहीं लंका दहन तो कहीं नक्कटैया की लीला का मंचन

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) जिले के विभिन्न स्थानों पर चल रही रामलीला में अलग-अलग लील

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 05:00 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 05:00 PM (IST)
कहीं लंका दहन तो कहीं नक्कटैया की लीला का मंचन
कहीं लंका दहन तो कहीं नक्कटैया की लीला का मंचन

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जिले के विभिन्न स्थानों पर चल रही रामलीला में अलग-अलग लीलाओं का मंचन किया गया। कलाकारों ने कहीं लंका दहन तो कहीं नक्कटैया सीताहरण की लीला का मंचन हुआ। रामलीला स्थल पर देर रात तक दर्शक डटे रहे। उत्कृष्ट लीला मंचन देख आनंद उठाते व जयकारा लगाते रहे। जयघोष व ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर गूंजते पाठ व भक्ति गीतों से पूरा जिला राममय बना रहा।

चौरी प्रतिनिधि के अनुसार : क्षेत्र के लठिया गांव में रविवार की रात लंका दहन, विभीषण शरणागति, अंगद रावण संवाद व लक्ष्मण शक्ति की लीला का मंचन हुआ। मंचन में रावण के दरबार में हनुमान की पूंछ में आग लगा दी जाती है। इसके बाद हनुमान वृहद रूप धारण कर पूरी लंका को आग के हवाले कर देते हैं। लंका में त्राहिमाम मच जाता है। फिर माता सीता से चूड़ामणि व आशीर्वाद लेकर रामादल में वापस आ जाते हैं। उधर विभीषण द्वारा सीता को प्रभु राम के पास वापस पहुंचाने की राय देने पर रावण ने विभीषण को अपमानित कर निकाल दिया। विभीषण प्रभु राम की शरण में चले जाते हैं। युद्ध से पहले संधि प्रस्ताव लेकर लंका पहुंचने वाले अंगद से रावण का संवाद होता है। इसके बाद लक्ष्मण शक्ति की लीला का मंचन कर विराम दिया गया। व्यास कृपाशंकर पाठक, छोटेलाल तिवारी, भोले तिवारी, लल्लू तिवारी, धनीशंकर यादव, जीत तिवारी, सुरेश दुबे आदि मंचन संपन्न कराने में लगे थे।

ऊंज प्रतिनिधि के अनुसार : पिलखुना पुरेमटुका, बीसा गांव में चल रही रामलीला में शूपर्णखा नक्कटैया, सीता हरण, रावण-जटायु युद्ध की लीला का मंचन किया गया। प्रभु श्रीराम के पंचवटी में प्रवास के दौरान शूपर्णखा शादी का प्रस्ताव लेकर उनके पास पहुंचती हैं। राम व लक्ष्मण दोनों लोगों की ओर से इन्कार मिलने पर मां सीता पर हमला कर देती हैं। इस पर लक्ष्मण उसके नाक-कान काट डालते हैं। जानकारी पर क्रोधित रावण साधु का वेश बनाकर सीता का हरण कर लेता है। सीता को ले जाते समय रास्ते में पक्षीराज जटायु से रावण का युद्ध होता है। यहीं लीला को विराम दिया जाता है। लीला स्थल पर पहुंचे ब्रह्मर्षि आश्रम के स्वामी ताड़केशरण महाराज ने कहा कि रामलीला हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। राम, भरत सहित चारों भाइयों, सीता व अन्य पात्रों के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। अध्यक्ष तारकेश्वरनाथ शुक्ला, आलोक ओझा, राकेश तिवारी, अंकित तिवारी आदि थे।

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