शिपिग कार्यालयों में लटका ताला, 500 कर्मी हुए बेरोजगार
जासं भदोही कालीन उद्योग की मंदी तो दूसरी व्यवसाय का डिजिटलीकरण होने से बड़ी संख्या में
जासं, भदोही : कालीन उद्योग की मंदी तो दूसरी व्यवसाय का डिजिटलीकरण होने से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगारी के शिकार हो रहे हैं। एजेंसियां मुंबई व दिल्ली में बैठकर आनलाइन कार्य करने लगी हैं। इसके कारण कालीन नगरी के 90 फीसद शिपिग कार्यालयों में ताला लटक गया है। कार्यालयों में काम करने वाले 500 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं। एक दशक पहले तक जनपद में जहां 150 से अधिक शिपिग एजेंसियों के कार्यालय हुआ करते थे वहीं अब 25 से 30 कार्यालय ही रह गए हैं। इसमें भी कर्मचारियों की संख्या सीमित कर दी गई है। कुछ शिपिग एजेंट घर बैठे आनलाइन काम कर रहे हैं। शिपिग व्यवसायियों का कहना है कि सिस्टम आनलाइन होने के बाद व्यवसाय सुविधाजनक जरूर हुआ है लेकिन बेरोजगारी बढ़ गई है। शिपिग कार्यालयों में काम करने वाले दूसरे व्यवसाय से जुड़ चुके हैं।
वर्ष 1990 से 2000 के दशक में कालीन उद्योग मंदी का शिकार हुआ तो आज तक उबर नहीं सका। देखते ही देखते छोटे निर्यातक लुप्त हो गए। कार्यालयों में कर्मचारियों का स्थान कंप्यूटर ने ले लिया। शिपिग संबंधी समस्त दस्तावेज आनलाइन हो गए। कागज का काम पूरी तरह समाप्त हो गया। इसके कारण एजेंसियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी। निर्यातक पीयूष बरनवाल ने बताया कि व्यवसाय का पूरा सिस्टम बदल चुका है। पहले निर्यातक अपनी मर्जी से शिपिग एजेंट से काम लेते थे लेकिन अब अधिकतर आयातक शिपिग एजेंटों को नामिनेट करते हैं। शिपिग की एजेंसियां बंद हो गई हैं।