आरबीआई की स्कीम से 600 निर्यातकों को मिली राहत
वैश्विक महामारी में अनिश्चिचतता के वातावरण में जी रहे कालीन उद्यमियों को रिजर्व बैंक ने बड़ी राहत प्रदान कर दी है। आर्थिक दुष्प्रभावों को रोकने के लिए आरबीआई की शुरू हिलिग टच की नीति से जनपद के 600 से अधिक निर्यातक लाभांवित होंगे। राहत स्कीम (रिजोल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0) के तहत बैंकों से 25 करोड तक का पर्सनल या एमएसएमई कंपनियों द्वारा ली गई ऋण की अदायगी के लिए दो साल तक का समय मिल गया है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे उद्यमियों के लिए यह स्कीम टानिक साबित होगी।
जागरण संवाददाता, भदोही : वैश्विक महामारी में अनिश्चिचतता के वातावरण में जी रहे कालीन उद्यमियों को रिजर्व बैंक ने बड़ी राहत प्रदान कर दी है। आर्थिक दुष्प्रभावों को रोकने के लिए आरबीआई की शुरू हिलिग टच की नीति से जनपद के 600 से अधिक निर्यातक लाभांवित होंगे। राहत स्कीम (रिजोल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0) के तहत बैंकों से 25 करोड तक का पर्सनल या एमएसएमई कंपनियों द्वारा ली गई ऋण की अदायगी के लिए दो साल तक का समय मिल गया है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे उद्यमियों के लिए यह स्कीम टानिक साबित होगी। आरबीआई की इस पहल की कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी), अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) ने भी स्वागत किया है।
कालीन उद्योग शत प्रतिशत सूक्ष्म लघु उद्यम मध्यम (एमएसएमई) सेक्टर में आता है। 95 फीसद उद्यमी बैंक से ऋण लेकर व्यवसाय करते हैं। वैश्विक स्तर पर कोरोना के कारण पिछले डेढ़ साल से कालीन उद्योग प्रभावित है। पिछले साल लाकडाउन के दौरान लगे झटके से अभी उद्योग उबरने की कोशिश कर रहा था कि दूसरी लहर ने पुन: पिछले पांव पर खड़ा कर दिया। ऐसे में बैंकों से लिए गए कर्ज की अदायगी भी उद्यमियों के सामने समस्या का कारण बनी थी।
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रिजर्व बैंक की ओर से यह सराहनीय पहल है। एमएसएमई सेक्टर देश के 60 फीसद जीडीपी का हिस्सेदार है। ब्याज में छूट व अदायगी की समयावधि बढ़ने से उद्यमियों को राहत मिली है। इससे न केवल घाटे में जा रहे व्यापार को बढावा मिलेगा बल्कि ऋण लेकर नया व्यापार भी शुरू किया जा सकता है। इसके लिए आरबीआई का दिल से आभार प्रकट करते हैं।
चित्र - 15 संजय गुप्ता, निर्यातक
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कोरोना काल में गर्दिश के दौर से गुजर रहे लघु उद्योगों को इससे काफी लाभ मिलेगा। जिसकी पहले से लिमिट है वह भी चाहे तो नया लोन ले सकता है। बैंक वसूली के लिए दबाव नहीं बनाएगी। एमएसएमई सेक्टर में आने वाले निर्यातकों को इससे सहूलियत मिल गई है। वर्तमान हालात को देखते हुए सराहनीय कदम है। साथ ही बैंकों को और सुधार की जरूरत है।
चित्र - 16 सिद्धनाथ सिंह चेयरमैन (सीईपीसी)