उद्यान की तकनीक अपनाने से बचेगा पानी
उद्यान विभाग किसानों को खेती-किसानी में नई तकनीक के साथ ही जल संरक्षण का भी संदेश दे रहा है। खेती-किसानी में रेनगन उपकरण काफी सहायक हो रहे है। पोर्टेबुल-स्प्रिंकलर और रेनगर बेहतर खेती के विकल्प साबित हो रहे हैं। किसान इस पद्धति को अपना रहे हैं।
बस्ती : उद्यान विभाग किसानों को खेती-किसानी में नई तकनीक के साथ ही जल संरक्षण का भी संदेश दे रहा है। खेती-किसानी में रेनगन उपकरण काफी सहायक हो रहे है। पोर्टेबुल-स्प्रिंकलर और रेनगर बेहतर खेती के विकल्प साबित हो रहे हैं। किसान इस पद्धति को अपना रहे हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना में वर्ष 2019-20 में रेनगन, पोर्टेबुल-स्प्रिंकलर और ड्रिप में 306 हेक्टेयर का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। प्रति हेक्टेयर किसानों को अनुदान की व्यवस्था है। पंजीकृत किसान इस उपकरण में काफी रुचि ले रहे हैं। 119 किसानों ने इस विधा को अपनाया है। जिससे 130 हेक्टेयर फसल की सिचाई हो सकती है। इन किसानों को 32 लाख का भुगतान सरकार ने किया है। इनमें सर्वाधिक किसान हर्रैया, विक्रमजोत, दुबौलिया, कप्तानगंज और रामनगर ब्लाक के हैं। ड्रिप योजना में 80 किसानों का चयन किया गया हैं। जिनका भुगतान अभी लंबित है।
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80 फीसद पानी की बचत
रेनगन, पोर्टेबुल-स्प्रिंकलर व ड्रिप सिचाई पद्धति अपनाने से 80 फीसद पानी की बचत हो रही है। सामान्य तकनीक से सिचाई करने में अधिक पानी व समय लगता है। जितनी फसल की सिचाई 8 घंटे में होती है उतनी ही फसल की सिचाई नई तकनीक से एक से डेढ़ घंटे में हो जाती है। सदर ब्लाक के गौरा गांव के प्रगतिशील किसान राममूर्ति मिश्र बताते हैं कि ड्रिप पद्धति से फसल की सिचाई करने पर लागत और समय की बचत हो रही है। गन्ना व सब्जी खेती में ड्रिप लगाने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 1 लाख 16 हजार अनुदान सरकार दे रही है। केला में प्रति हेक्टेयर 98 हजार रुपये अनुदान मिल रहा है। रेनगन में प्रति हेक्टेयर 35 हजार 731 रुपये, पोर्टेबुल-स्प्रिंकलर में 22 हजार 667 रुपये अनुदान है। खेती में किसान उद्यान विभाग की तकनीक अपनाएं तो उन्हे अनुदान मिलेगा और सिचाई आसान हो जाएगी। इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।