राम वन गमन दृश्य देख भावुक हो गए दर्शक

लक्ष्मण के मूर्छित होने से सम्पूर्ण रामादल शोकग्रस्त हो गया। सुखेन वैध के बताने पर हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण का उपचार किया गया। श्री धनुषधारी आदर्श रामलीला मण्डल अयोध्या से आये कलाकारों द्वारा बहुत ही मार्मिक ढंग से रामलीला का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 10:43 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 10:43 PM (IST)
राम वन गमन दृश्य देख भावुक हो गए दर्शक
राम वन गमन दृश्य देख भावुक हो गए दर्शक

बस्ती: बस्थनवां बाजार में विराट नव युवक रामलीला समिति की ओर से चल रही रामलीला के चौथे दिन कलाकारों ने राम वन गमन, भरत मिलाप का सजीव मंचन कर दर्शकों को भावुक कर दिया। आयोजक महेश चौहान ने राम दरबार के झांकी की आरती उतार कर लीला की शुरूआत की।

राम लीला में राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राम को राजा बनाने की घोषणा करते हैं। इससे रानी कैकेयी की दासी मंथरा कुपित होकर रानी के कान भरती है। रानी उसकी बातों में आकर कोप भवन में जाती हैं, जहां राजा दशरथ को रानी अपने दो वचन याद दिलाती हैं और उसे मांगते हुए कहती हैं कि उनके पुत्र भरत को राज और राम को वनवास भेजा जाए। रानी की बात सुन महाराज दशरथ अचेत हो जाते हैं। होश में आने पर राम को संदेशा भिजवाते हैं। आने पर राम को वनवास की बात पता चलती है। पिता की आज्ञा पाकर राम लक्ष्मण व सीता वन पथ पर प्रस्थान करते हैं। वन पथ पर राम को जाता देख अयोध्या की प्रजा उनके साथ हो लेती है रास्ते में वह प्रजा को बिना बताए प्रस्थान कर जाते हैं। राम के वनगमन के बाद राजा दशरथ प्राण का त्याग करते हैं। भरत को उनके ननिहाल से बुलाया जाता है। अयोध्या आने के उपरांत उन्हें घटना क्रम की जानकारी होती है, जिससे कुपित होकर भरत अपनी माता कैकेयी से नाराज होते हैं। इधर पिता का कर्मकांड कर भरत राम को वन से लौटाने के लिये वन प्रस्थान करते हैं,जहां राम भरत का मिलन होता है। काफी मनाने के बाद जब राम नहीं मानते तब राम की चरण पादुका सिर पर रख कर भरत वापस अयोध्या पहुंचते हैं। इधर राम चित्रकूट से पंचवटी के लिये प्रस्थान करते हैं।

कलाकारों में शत्रुहन,प्रवेश तिवारी, राकेश तिवारी, सतीश यादव, राजन तिवारी, विजयपाल, हरिशंकर के अभिनय से दर्शकों के चेहरे का भाव पल-पल बदलता रहा।

लक्ष्मण मूर्छा व राम विलाप पर दर्शकों की भर आई आंखें

सनातन धर्म संस्था और श्री रामलीला महोत्सव आयोजन समिति की ओर से अटल बिहारी वाजपेई प्रेक्षागृह में चल रहे श्रीराम लीला के नौवें दिन सोमवार की रात गणेश वंदना एवं श्री राम जी की आरती के साथ श्री रामलीला महोत्सव का शुभारंभ हुआ।

आरती के पश्चात इंडियन पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा कथा के माध्यम से भगवान राम के जीवन की लीला का मंचन किया गया। बच्चों की मनमोहक प्रस्तुति देख दर्शकों ने खूब ताली बजाई। सोमवार की लीला में सेतुबंध रामेश्वरम स्थापना, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण जी को शक्ति लगना, श्री हनुमान जी का संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरि पर्वत प्रस्थान, कालनेमि वध, हनुमान भरत संवाद व लक्ष्मण जी की मूर्छा भंग के प्रसंग का मंचन किया गया। भावपूर्ण दृश्य देखकर लोग भावुक हो गए।

कथा व्यास राजाबाबू पाण्डेय व विश्राम पाण्डेय ने कथा सूत्र को विस्तार देते हुए बताया कि भगवान राम के क्रोध में आने पर समुद्रदेव प्रकट होते हैं और वो आगे का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

बानरों की सेना समुद्र के पास पहुंची और समुद्र पर नल और नील के साथ समुद्र पर सेतु बांधा। राम जी ने शिव जी का विधिवत पूजन कर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और बानरों की सेना के साथ सुग्रीव, हनुमान, जामवंत, रामजी और लक्ष्मण के साथ समुद्र पार कर सुमेर पर्वत पर डेरा डाला। इसके बाद लीला में अंगद रावण संवाद का मंचन किया। जब रावण ने अंगद के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया तब युद्ध घोषणा होती है, युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाद व लक्ष्मण में घमासान युद्ध होता है, जब मेघनाथ युद्ध में लक्ष्मण से विजय प्राप्त नही कर पा रहा था तब मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रहार लक्ष्मण के ऊपर किया।

लक्ष्मण के मूर्छित होने से सम्पूर्ण रामादल शोकग्रस्त हो गया। सुखेन वैध के बताने पर हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण का उपचार किया गया। श्री धनुषधारी आदर्श रामलीला मण्डल अयोध्या से आये कलाकारों द्वारा बहुत ही मार्मिक ढंग से रामलीला का मंचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित मातृ शक्तियों द्वारा व शयन आरती बच्चों ने की। बच्चों को आरती का महत्व और तरीका बताया गया। संचालन पंकज त्रिपाठी ने किया। दर्शकों में सुभाष शुक्ल, अखिलेश दूबे,बृजेश सिंह मुन्ना,हरीश त्रिपाठी,डा.वीरेंद्र त्रिपाठी, हरिप्रसाद पांडेय, अनुराग शुक्ल, जॉन पांडेय, दयाभाव सिंह, अनिल मिश्र, राहुल त्रिवेदी आदि शामिल रहे।

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