सवा तीन करोड़ खर्च फिर भी नहर में पानी नहीं
नहर के पक्कीकरण एवं पंप के मरम्मत कार्य में मानकों की हुई अनदेखी
जागरण संवाददाता, रखौना, बस्ती : कुआनो नदी के किनारे स्थित तिलहवा गांव में स्थापित पंप कैनाल सिचाई में मददगार नहीं साबित हो पा रहा है। इस कैनाल से निकाली गई 25 किलोमीटर लंबी नहर का हलक सूखा ही रह गया है। वह भी तब जब इधर दो साल में नहर एवं पंप कैनाल के मरम्मत के नाम पर सवा तीन करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
वर्ष 1959 क्षेत्रीय किसानों को सिचाई की सुविधा सुलभ कराने के उद्देश्य से तिलहवा में पंप कैनाल की स्थापना एवं मुख्य तथा माइनर समेत दो नहरों की शाखा निकाली गई थी। कुछ साल तक यह परियोजना खेती-किसानी में संजीवनी साबित हुई। समय बीता तो यह नहर सूख गई। नलकूप खंड विभाग ने नहर को उपयोगी बनाने के लिए इधर नए सिरे से कार्य योजना तैयार की। 25 किलोमीटर लंबाई में नहर के पक्कीकरण एवं पंप कैनाल के मरम्मत के लिए तैयार सवा तीन करोड़ के प्रस्ताव पर शासन से स्वीकृति मिली। दो साल के भीतर विभाग ने यह धन खर्च भी कर दिया।
फिर भी स्थिति जस की तस है। महज दो से ढाई किलोमीटर तक ही नहर में पानी उपलब्ध है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता ठीक न होने से जगह-जगह नहर टूटकर क्षतिग्रस्त हो गई है। वहीं पिपरागौतम माइनर के पक्कीकरण का कार्य अभी अधूरा ही है। कुछ जगहों पर यह नहर सिल्ट एवं झाड़-झंखाड़ में विलुप्त है। इन गांवों को मिलनी है सिचाई की सुविधा
तिलहवा में स्थापित बस्ती पंप कैनाल से जुड़ी नहर से बहादुरपुर ब्लाक के चंदो, अगाई, पिपरागौतम, प्रतापपुर, महादेवा, भेलवल, निरंजनपुर, गौतम कड़सरी, कुसुम्ही, बहादुरपुर, पाल्हा एवं कुदरहा ब्लाक के कड़सरी मिश्र आदि गांवों को सीधे सिचाई की सुविधा सुलभ होती। लेकिन पानी न पहुंचने से किसानों की उम्मीद टूट गई है। मेरे कार्यकाल में निर्माण कार्य नहीं हुआ है। कार्यों के गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी। नहर में पानी क्यों नहीं पहुंच रहा है। इसकी जानकारी संबंधित जेई से मांगी जाएगी।
लालचंद्र, अधिशासी अभियंता, नलकूप खंड।