जिले में नहीं है विद्युत शवदाह भट्ठी, शव वाहन भी गिने-चुने
बस्ती : कोविड की संभावित तीसरी लहर को लेकर जिला प्रशासन सतर्क है। जिले में विद्युत शवदाह भठ्ठियां न
बस्ती : कोविड की संभावित तीसरी लहर को लेकर जिला प्रशासन सतर्क है। जिले में विद्युत शवदाह भठ्ठियां नहीं है। पूर्व में बने श्मशान घाटों पर ही अंतिम संस्कार की परंपरा चली आ रही है। कोविड की दूसरी लहर में काफी दिक्कतें सामने आई थीं। जरूरत पड़ने पर लकड़ियां तक कम पड़ रही थी। अंतिम संस्कार के लिए लोगों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ी थी। जिले में शव वाहन भी गिने-चुने हैं,इसको लेकर भी समस्या है।
दूसरी लहर के दौरान श्मशान घाटों पर अव्यवस्था और लंबे इंतजार की खबरें सामने आई थीं। वैसे तो सरयू, कुआनो और आमी नदियों के किनारे अंतिम संस्कार होता है। शहरी क्षेत्र के शवों का अंतिम संस्कार मूड़घाट स्थित श्मशान घाट पर किया जाता है। यहां अंतिम संस्कार की परंपरा चली आ रही है। मौजूदा समय में प्रकाश की अल्प व्यवस्था है। टीनशेड भी उजड़े हैं। साफ-सफाई का भी अभाव रहता है। हालांकि वहां संबंधित ठीकेदार लकड़ी का पर्याप्त व्यवस्था किए हुए हैं। कोविड की दूसरी लहर में ये लकड़ियां गायब थीं। शव को जलाने के लिए लकड़ी के लिए लोग परेशान थे। हालत यह रही कि लकड़ी की दरें भी बढ़ गई थी। कुछ ऐसे भी थे जो इन तमाम झंझटों के छुटकारा पाने के लिए शव को दफन कर दिए थे । इधर कोविड की संभावित तीसरी लहर की आहट है। पूर्व में जैसे श्मशान घाट थे, वैसे हालत में आज भी हैं। इस तरफ न नगर पालिका न ही जिला पंचायत का ध्यान जा रहा है। लाखों की लागत से नगर पालिका की ओर से बनाए गए घाट अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। जिला पंचायत की ओर से बनाए गए टीनशेड भी जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं। वहीं जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी विकास मिश्र का कहना है कि मूड़घाट श्मशान घाट नगर पालिका के क्षेत्र में आता है, ऐसे में नगर पालिका ही जरूरी इंतजाम करेगी। पेयजल और बैठने तक का इंतजाम नहीं
मूड़घाट श्मशान घाट पर पेयजल से लेकर बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इंडियामार्क हैंडपंप एकाध चल रहे, बाकी खराब हैं। सफाई न होने से गंदगी पसरी रहती है। वहीं आवागमन के लिए सड़क भी दुरुस्त नहीं है। लोगों को घाट तक पहुंचने में काफी समस्या होती है। घाट तक शव पहुंचाने में खूब हुई थी समस्या
कोविड की दूसरी लहर में मृतकों की संख्या बढ़ी तो घाट तक शव पहुंचाने के लिए लोगों को काफी समस्या हुई थी। सरकारी एंबुलेंस भी समय से नहीं मिल पाती थी। निजी एंबुलेंस मनमानी रकम मांगते थे। घाट और अस्पताल की दूरी भले ही चार से पांच किमी की रही हो, लेकिन शव लाने के लिए लोगों को चार से पांच हजार रुपये तक देने पड़े थे। प्रभारी सीएमओ डा. फखरेयार हुसैन ने बताया कि एक नया शव वाहन मिला है। एंबुलेंस भी सक्रिय हैं। जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस की और मांग की जाएगी।
अखिलेश त्रिपाठी, ईओ नगर पालिका बस्ती ने बताया कि नगर पालिका की ओर से वहां कोई साफ-सफाई या प्रकाश आदि की व्यवस्था नहीं की जाती है। यह इलाका ग्राम पंचायत में आता है।