रेफरल हास्पिटल बनकर रह गए गांव के अस्पताल

30-30 बेड के बनाए गए हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुधौली में बेड खाली नहीं भर्ती मिले एक भी मरीज

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 11:52 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 11:52 PM (IST)
रेफरल हास्पिटल बनकर रह गए गांव के अस्पताल
रेफरल हास्पिटल बनकर रह गए गांव के अस्पताल

जागरण संवाददाता,बस्ती : अमरडोभा, संतकबीरनगर के राम उजागिर को सांस लेने में तकलीफ थी। स्वजन रुधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गए। चिकित्सक ने बिना देखे अस्पताल गेट से ही जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। यह मामला रविवार की शाम का है। सोमवार को यहां 25 मरीज पहुंचे। इसमें से पांच को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। यह अस्पताल 30 बेड का है। जांच से लेकर भर्ती तक की सुविधा है लेकिन एक भी मरीज भर्ती नहीं किए गए। यहां की ओपीडी कई दिन से बंद है लेकिन कोई पुरसाहाल नहीं है। कमोवेश यही हाल जिले के अन्य सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। ग्रामीण क्षेत्र के सभी सरकारी अस्पताल रेफरल हास्पिटल बनकर रह गए हैं।

कोरोना के खौफ के चलते अधिकांश निजी अस्पताल और क्लीनिक बंद है,ऐसे में सरकारी अस्पतालों ने भी मरीजों का साथ छोड़ दिया है। बस्ती जिले में 13 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन अस्पतालों की व्यवस्था बेपटरी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने भी मरीजों की पीड़ा से मुंह मोड़ लिया है। कोई ऐसा केंद्र नहीं है जहां मरीजों के लिए सौ बेड न हो। डाक्टर, स्टाफ, जांच और दवाओं की उपलब्धता के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के ब्लाक स्तरीय अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। इन केंद्रों पर आक्सीजन और स्टाफ की कमी का बहाना बनाया जा रहा है। कारोना के लक्षण वाले मरीजों को तो बैरंग लौटा दिया जा रहा है। इस मनमानी व्यवस्था के चलते आए दिन कोई न कोई मरीज अपनी जान गंवा रहा है। ओपीडी बंद, सब कुछ मनमानी जनपद मुख्यालय से 28 किमी दूर रुधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। यहां सिद्धार्थनगर के साथ ही संतकबीर नगर जिले के भी मरीज पहुंच रहे हैं। ओपीडी बंद होने से सामान्य मरीजों का भी उपचार नहीं हो पा रहा है। जागरण टीम ने सोमवार को चिकित्सकीय व्यवस्था की पड़ताल की। इस दौरान तमाम चौंकाने वाली जानकारी मिली। इमरजेंसी में डॉ अनिल मौर्या की ड्यूटी थी। 80 साल की बुजुर्ग सोहरता देवी सर्दी और बुखार की समस्या से पीड़ित थी। इन्हें परामर्श देकर घर भेज दिया गया। इसी तरह से अन्य बीस मरीजों को भी घर पर रखकर इलाज करने की सलाह दी गई। कोरोना के लक्षण वाले पांच मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। डाक्टर और स्टाफ की कमी

एसीएमओ डा.फखरेयार हुसेन ने कहा जिले में तेरह सामुदायिक स्वास्थ्य हैं। हरेक में तीस-तीस बेड हैं। डाक्टरों और स्टाफ की कमी के चलते मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। कोरोना के मरीज और बढ़ेंगे तो दुबौलिया, अमरौली शुमाली और मरवटिया में भर्ती करने की व्यवस्था की जाएगी। एक अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए संचालित करने पर छह डाक्टर और 18 पैरामेडिकल स्टाफ की जरूरत होगी।

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