शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

भद्रेश्वानाथ शिवमंदिर के पुजारी रुबेश गोस्वामी ने बताया कि भगवान शिव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं जो नीलकंठ विषधारी शिव के गर्म शरीर को शीतलता प्रदान करता है। बेलपत्र भांग धतूरा कनेर समीपत्र के साथ भस्म भभूत से शिवलिग की पूजा की जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 11:23 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 11:23 PM (IST)
शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक
शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

बस्ती : श्रावण मास रविवार से शुरू हो गया है। कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन के साथ ही श्रद्धालु पहले दिन शिवमंदिरों में पहुंचे और भगवान शिव का जलाभिषेक किया। कोरोना खौफ पर श्रद्धा भारी दिखी। सुबह से लेकर देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित होने के बाद भी मास के पहले सोमवार को शिवमंदिरों में भारी भीड़ जुटने की संभावना है। बहरहाल मंदिरों को खूब सजाया गया है। सुरक्षा के भी इंतजाम किए गए हैं।

रविवार को अल सुबह ही जल भर शिवालयों में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंचे। शिवालयों में श्रद्धालुओं के जलाभिषेक करने के लिए व्यवस्था बनाई गई है। महिलाएं,पुरुषों के लिए अलग-अलग बैरिकेडिग की व्यवस्था की गई है। भद्रेश्वरनाथ शिवमंदिर में पूजा सामग्री की दुकानें सजी रहीं। इसके अलावा भारीनाथ शिवमंदिर, देवरिया शिवमंदिर, कर्ण शिवमंदिर, जागेश्वरनाथ शिवमंदिर तिलकपुर समेत जिले के सभी शिवालयों में श्रद्धालु श्रावण मास के पहले दिन जलाभिषेक किए। ग्रामीण क्षेत्रों में शिवालयों को भी सजाया गया है।

श्रावण मास में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं। पहला आज है। इसे देखते हुए व्यापक स्तर पर तैयारी की गई है। श्रावण मास में कुछ विशेष बातों पर बल दिया जाता है।जैसे शुद्ध शाकाहारी रहते हुए पूजन कार्य करना चाहिए। शिवमंदिरों में सामूहिक रूप से दर्शन पूजन करने की मनाही है। श्रद्धालु कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए भगवान शिव के दर्शन व जलाभिषेक के लिए जा सकते हैं। मंदिरों के बाहर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था रही। पुलिस श्रद्धालुओं को रोक-टोक करती दिखी। सबसे प्रिय है भगवान शिव को श्रावण मास

भद्रेश्वानाथ शिवमंदिर के पुजारी रुबेश गोस्वामी ने बताया कि भगवान शिव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है, क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो नीलकंठ विषधारी शिव के गर्म शरीर को शीतलता प्रदान करता है। बेलपत्र, भांग, धतूरा, कनेर समीपत्र के साथ भस्म, भभूत से शिवलिग की पूजा की जाती है। कोविड प्रोटोकाल के तहत श्रद्धालु पूजन-अर्चन कर रहे हैं। सोमवार को श्रद्धालु कोविड प्रोटोकाल के तहत जलाभिषेक करें।

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